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    अफगानिस्तान में लड़ाके

    अमेरिका के रक्षा विभाग ने पाकिस्तान के लश्कर ए तैयबा समेत तीन आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान में सेना के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है। अफगानी सरजमीं पर 300 लश्कर ए तैयबा के आतंकी सक्रीय है। अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने एलईटी को वैश्विक आतंकी संगठन की सूची में शामिल कर रखा है। यह संगठन साल 2008 में मुंबई आतंको हमलो का जिम्मेदार है जिसमे 166 लोगो की मौत हुई थी।

    अमेरिका ने इस समूह के संस्थापक हाफिज सईद पर एक करोड़ डॉलर का ईमान रखा था। मार्च में हाफिज ने आतंकी सूची से बाहर आने के लिए यूएन के समक्ष याचिक दायर की थी। एलईटी के लड़ाके अफगान तालिबान की तरफ से एक दशक से लड़ रहे हैं। यह रिपोर्ट 1 जनवरी से 31 मार्च तक के कार्यकाल की है।

    रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा विभाग ने हक्कानी नेटवर्क, ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट और लश्कर ए तैयबा समूह को अफगानिस्तान में अमेरिका और उसके सहयोगी सेना के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है। अफगानी सरजमीं पर 300 एलईटी के आतंकी सक्रीय है। पाकिस्तानी स्थित समूह जमात उल अहरार पाकिस्तानी तालिबान का गुट है जिसके अफगानिस्तान में करीब 200 लड़ाके हैं।

    एलईटी की संस्थापना साल 1980 में चरमपंथी समूह के तौर पर हुई थी और मौजूदा वक्त में पाकिस्तानी सरजमीं से संचालित सबसे बड़ा आतंकी समूह है। बीते कई वर्षों से इसका संचालको ने बांग्लादेश, श्रीलंका और यूरोप में आतंकी गतिविधियों से जोड़ा है और इसका सबसे पहला निशाना भारत है।

    पाकिस्तान ने साल 2002 में इस समूह पर प्रतिआबन्ध लगा दिए थे इसके बावजूद आतंकी समूह भर्ती, अनुदान जुटाने और शिविरों, मदरसों और पाकिस्तान के अन्य इलाकों में नेटवर्क को संचालित कर रहा था। फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स और पश्चिमी ताकतों के दबावके कारण पाकिस्तान ने बीते मार्च में एलईटी के दो गुटों को प्रतिबंधित कर दिया था इसमें एक जमात उद दावा और दूसरा फलाह ए इंसानियत था।

    अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में बातचीत के बावजूद संघर्ष जारी है। तालिबान और अमेरिकै अधिकारियो के बीच शान्ति का मसौदा लगभग तैयार हो चुका है। मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक तालिबान अफगानिस्तान में आतंकी समूहों को सुरक्षा मुहैया नहीं करेगा और इसके बदले अमेरिका अपनी सेना को हटा देगा। वार्ता की प्रक्रिया में बातचीत सबसे महत्वपूर्ण है और शान्ति वार्ता कभी भी कभी भी खत्म हो सकती है।

    रिपोर्ट के आंकलन के मुताबिक इस्लामिक स्टेट, हक्कानी नेटवर्क और तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान की खोर्सान विंग में अफगानी सरजमीं पर सबसे 3000 से 5000 लड़के मौजूद है जबकि अल कायदा के 300 है। अफगानिस्तान में आतंकी समूहों की मौजूदगी शान्ति वार्ता का सबसे अहम चिंतित विषय है। सवाल है कि तालिबान इन आतंकी समूहों को सुरक्षित पनाह न देने के लिए राज़ी होगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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