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anupriya patel

बिहार में अपने सहयोगियों को शांत करने के कुछ दिनों बाद, ऐसा लगता है कि भाजपा के पास अब उत्तर प्रदेश में अपना दल (एस) के नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के रूप में एक नया सिरदर्द है। बुधवार को पार्टी के राज्य नेतृत्व से नाराजगी जताने के बाद पार्टी की सांसद और केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एक मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन समारोह से खुद को दूर रखा।

बुधवार को अनुप्रिया के पति और अपना दल (सोनेलाल) के अध्यक्ष आशीष पटेल ने भाजपा के राज्य नेतृत्व पर आरोप लगाया था कि उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया जाता। साथ ही साथ उन्होंने सम्मानजनक सीट की भी मांग की थी।

अनुप्रिया पटेल, जो केंद्र सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भी हैं, मंगलवार को सिद्धार्थनगर में सीएम द्वारा आयोजित एक समारोह में भी उपस्थित नहीं थी। भाजपा और अपना दल (एस) दोनों ने समारोह से उसकी अनुपस्थिति के बारे में सवाल किए जाने पर विरोधाभासी उत्तर दिए। जिसके बाद हवा में ये बात तैर गई कि एनडीए में उत्तर प्रदेश में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

अपना दल (एस) के नेता अनुराग पटेल ने कहा कि, “सरकार द्वारा उनके लिए 25 और 26 दिसंबर को होने वाले कार्यक्रमों में कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं था।” जबकि भाजपा के देवरिया के जिला मीडिया प्रभारी सत्येंद्र मणि ने कहा कि उन्हें उनकी अनुपस्थिति के पीछे का कारण नहीं पता है।

दो प्रमुख क्षेत्रीय क्षत्रप उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने पहले ही भाजपा के साथ रिश्ते तोड़ लिए हैं। अब चुनाव से कुछ ही महीने पूर्व भाजपा अपना एक और सहयोगी गंवाने का जोखिम नहीं ले सकती, वो भी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहाँ उसे रोकने के लिए सपा और बसपा जैसी धुर विरोधी पार्टियाँ भी एक साथ आने को तैयार हो गई।

अपना दल (एस) के प्रमुख आशीष पटेल ने दावा किया कि उनकी पार्टी को उचित महत्व नहीं मिल रहा है और कहा कि राज्य भाजपा का नेतृत्व पार्टी को सम्मान नहीं दे रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन करके अपना दल ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था और दोनों सीटें जीतीं थी।

By आदर्श कुमार

आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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