Fri. Mar 29th, 2024
    अतिशयोक्ति अलंकार उदाहरण atishyokti alankar in hindi

    विषय-सूचि

    इस लेख में हमनें अलंकार के भेद अतिशयोक्ति अलंकार के बारे में चर्चा की है।

    अलंकार का मुख्य लेख पढ़नें के लिए यहाँ क्लिक करें – अलंकार किसे कहते है- भेद एवं उदाहरण

    अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा

    जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार में नामुमकिन तथ्य बोले जाते हैं। जैसे :

    अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण :

    • हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग। 

    ऊपर दिए गए उदाहरण में कहा गया है कि अभी हनुमान की पूंछ में आग लगने से पहले ही पूरी लंका जलकर राख हो गयी और सारे राक्षस भाग खड़े हुए।

    यह बात बिलकुल असंभव है एवं लोक सीमा से बढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।।

    ऊपर दी गयी पंक्तियों में बताया गया है कि महाराणा प्रताप के सोचने की क्रिया ख़त्म होने से पहले ही चेतक ने नदियाँ पार कर दी।

    यह महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की अतिशयोक्ति है एवं इस तथ्य को लोक सीमा से बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • धनुष उठाया ज्यों ही उसने, और चढ़ाया उस पर बाण |धरा–सिन्धु नभ काँपे सहसा, विकल हुए जीवों के प्राण।

    ऊपर दिए गए वाक्यों में बताया गया है कि जैसे ही अर्जुन ने धनुष उठाया और उस पर बाण चढ़ाया तभी धरती, आसमान एवं नदियाँ कांपने लगी ओर सभी जीवों के प्राण निकलने को हो गए।

    यह बात बिलकुल असंभव है क्योंकि बिना बाण चलाये ऐसा हो ही नहीं सकता है। इस थथ्य का लोक सीमा से बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    अतिशयोक्ति अलंकार के अन्य उदाहरण:

    • भूप सहस दस एकहिं बारा। लगे उठावन टरत न टारा।।

    ऊपर दिए गए उदाहरण में कहा गया है कि जब धनुर्भंग हो रहा था कोई राजा उस धनुष को उठा नहीं पा रहा था तब दस हज़ार रजा एक साथ उस धनुष को उठाने लगे लेकिन वह अपनी जगह से तनिक भी नहीं हिला।

    यह बात बिलकुल असंभव है क्योंकि दस हज़ार लोग एक साथ धनुष को नहीं उठा सकते। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • परवल पाक, फाट हिय गोहूँ।

    ये पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवि मालिक मोहम्मद जायसी ने नायिका नागमती के विरह का वर्णन करते हुए कहा है कि उसके विरह के ताप के कारण परवल पाक गए एवं गेहूं का हृदय फट गया।

    लेकिन यह कथन बिलकुल असंभव हा क्योंकि गेहूं का कभी हृदय नहीं फट सकता है। अतः यह बात बढ़ा-चढ़ाकर बोली गयी है। अतएव यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • चंचला स्नान कर आये, चन्द्रिका पर्व में जैसे। उस पावन तन की शोभा, आलोक मधुर थी ऐसे।।

    इन पंक्तियों में नायिका के रूप एवं सौंदर्य का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। अतः यह उदाहरण अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • देख लो साकेत नगरी है यही। स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही। 

    ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां एक नगरी की सुंदरता का वर्णन किया जा रहा है। यह वर्णन बहुत ही बढ़ा चढ़कर किया जा रहा है। जैसा की हम जानते हैं की जब किसी चीज़ का बहुत बढ़ा चढाकर वर्णन किया जाता है तो वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

    अतः ऊपर दी गयी पंक्ति भी अतिश्योक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगी।

    • मैं बरजी कैबार तू, इतकत लेती करौंट। पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौंट। 

    जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां गुलाब की पंहुरियों से शरीर में खरोंच आने की बात कही गयी है। अर्थात नारी को बहुत ही कोमल बताया गया है। जैसा की हम जानते हैं गुलाब की पंखुरिया बहुत ही कोमल होती हैं और उनसे हमें चोट नहीं लगती। यहां गुलाब की पंखुरियों से चोट लगने की बात कही गयी है जो की एक अतिश्योक्ति है।

    अतः यह उदाहरण अतिश्योक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों में, मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से। 

    ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं कि कवि ने मोतियों से भरी हुई प्रिया की मांग का वर्णन किया है।

    इन पंक्तियों में चाँद का मुख से काली ज़ंज़ीर का बालों से तथा मणिवाले फणियों से मोती भरी मांग का अतिश्योक्ति पूर्ण वर्णन किया गया है। जैसा की हम जानते हैं की जब किसी चीज़ का बढ़ा-चढ़कर उल्लेख किया जाता है तब वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

    अतः यह उदाहरण अतिश्योक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • देखि सुदामा की दीन दशा करुना करिके करुना निधि रोए।

    ऊपर दिए गए उदाहरण में कवि का काव्यांश से तात्पर्य है की सुदामा की दरिद्रावस्था को देखकर कृष्ण का रोना और उनकी आँखों से इतने आँसू गिरना कि उससे पैर धोने के वर्णन में अतिशयोक्ति है। अतः यह उदाहरण अतिश्योक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • कहती हुई यूँ उत्तरा के नेत्र जल से भर गए। हिम कणों से पूर्ण मानों हो गए पंकज नए।।

    जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं , यहाँ उत्तरा के जल (आँसू) भरे नयनों (उपमेय) में हिमकणों से परिपूर्ण कमल (उपमान) की संभावना प्रकट की गई है। अर्थात उत्तरा के रोने का बढ़ा चढ़ा कर वर्णन किया गया है। जैसा की परिभाषित है की जब भी किसी तथ्य का बढ़ा चढ़ा कर वर्णन होता है तो वहां अतिश्योक्ति अलंकर होता है।

    अतः यह उदाहरण अतिश्योक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    • दादुर धुनि चहुँ दिशा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ।।

    ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं, यहाँ मेंढकों की आवाज़ (उपमेय) में ब्रह्मचारी समुदाय द्वारा वेद पढ़ने की संभावना प्रकट की गई है। यह एक तथ्य है की मेंढकों की आवाज़ में एवं वेड पढने में बहुत ही ज्यादा फर्क होता है अतः मेंढकों के आवाज़ निकालने को वेड पढने से तुलना किया गया है।

    अतः यह उदाहरण अतिश्योक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो उसे आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    अन्य अलंकार

    1. अनुप्रास अलंकार
    2. यमक अलंकार
    3. उपमा अलंकार
    4. उत्प्रेक्षा अलंकार
    5. रूपक अलंकार
    6. मानवीकरण अलंकार
    7. श्लेष अलंकार
    8. यमक और श्लेष अलंकार में अंतर

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

    8 thoughts on “अतिशयोक्ति अलंकार : परिभाषा एवं उदाहरण”
    1. सखी दो दो मेघ बरसे में प्यासी की प्यासी क्या यह भी अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण ही है

    2. टिप्पणी:
      Nari beech sari hai ki sari beech nari hai,
      ki sari hi ki nari hai ki nari hi ki sari hai.

      please explain

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *