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    लीबिया मे जंग

    त्रिपोली के दक्षिण मे स्थित नज़रबंद शिविरों से संयुक्त राष्ट्र ने 325 शरणार्थियों को बाहर निकाल दिया है। लीबिया की राजधानी में संघर्ष बढ़ता जा रहा है। यूनाइटेड नेशन रिफ्यूजी एजेंसी ने एक बयान में कहा कि “क़स्र बिन घासीर सेंटर से निकले गए लोगो  को उत्तरी पश्चिमी लीबिया के अज़्ज़वया में स्थित नज़रबंदी सुविधा में भेज दिया गया है, जहां उनके पकडे जाने का खतरा कम है।”

    सैन्य कमांडर खलीफा हफ्तार और यूएन द्वारा मान्यता प्राप्त गवर्मेंट ऑफ़ नेशनल एकॉर्ड के सैनिको के बीच संघर्ष का दौर जारी है। लीबिया में यूएन के डिप्टी चीफ ने कहा कि “त्रिपोली  और प्रवासियों के लिए खतरा मौजूदा समय से अधिक कभी नहीं रहा था। यह जरुरी है कि शरणार्थियों को खतरे में छोड़ दिया जाए और सुरक्षा के हटा दिया जाए।”

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को हालातो के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कैदियों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। हालाँकि गोलियों से कोई जख्मी नहीं हुआ था। 12 शरणार्थी शारीरिक तरीके से चोटिल हुए थे जिन्हे इलाज की जरुरत है।

    इस विस्थापन को लीबिया के विभागों, लीबिया में यूएन मिशन और यूएन के मानवीय मामलो के दफ्तर के सहयोग से किया गया था। इसे संभव करने के लिए इन सबने एक मानवीय गलियारे का निर्माण किया था।

    यूएनएचसीआर ने 825 से अधिक शरणार्थियों को ऐन ज़ारा, अबू सलीम, कसेर बिन गाशीर, तजौरा और जिंतन नाबरबंद शिविरों दो हफ्तों में विस्थापित किया था। हालाँकि अभी भी। 3000 से अधिक शरणार्थी और प्रवासी त्रिपोली के नज़रबंद शिविरों में हैं और राजधानी में बिगड़ते हालात से उन्हें गंभीर खतरा है।

    भारत ने 6 अप्रैल को समस्त शान्ति स्थापित करने वाली सेना को हटा दिया था जिसे अमेरिका और नेपाल जैसे अन्य राष्ट्रों ने भी अपनाया था। इस संघर्ष में 200 से अधिक लोगो ने अपनी जान गंवाई है और 913 लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं। तानाशाह मोहम्मद गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया दो भागो में विभाजित हो गया था।

     

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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