Thu. Jun 8th, 2023
    नए संसद भवन के उद्घाटन में सामने आएगा भारत का राजदंड ‘सेंगोल’

    गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिल्ली में मीडिया को कहा है कि नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक होगा और सभी भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने का केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नवनिर्मित संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष की सीट के पास सेंगोल नामक एक ऐतिहासिक स्वर्ण राजदंड स्थापित करेंगे।

    उन्होंने मोदी सरकार देश के गरीब और वंचित वर्ग को सशक्त बनाने में पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ लगी हुई है और नया संसद भवन इस संकल्प के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का गवाह बनेगा। शाह ने कहा, संसद भवन लोकतंत्र में हमारी आस्था का केंद्र है, जो हमें स्वतंत्रता के मूल्य और उसके संघर्ष की याद दिलाता है और हमें राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित भी करता है।

    शाह ने बताया, सेंगोल के इतिहास और डीटेल में जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि सेंगोल जिसको प्राप्त होता है उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है। यह चोला साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। तमिलनाडु के पुजारियों द्वारा इसमें धार्मिक अनुष्ठान किया गया। 

    इस सेंगोल  का इस्तेमाल 14 अगस्त 1947 को प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था जब अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। सेंगोल एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ धन से भरा होता है और यह भूत आभासी और नैतिक शासन का प्रतीक है। पांच फीट का सेंगोल ऊपर से नीचे तक समृद्ध कारीगरी के साथ भारतीय कला की उत्कृष्ट कृति है। इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय से लाया गया है।

    शाह ने कहा कि देश की सांस्कृतिक विरासत, इतिहास, परंपरा और सभ्यता को नए भारत से जोड़ने का यह एक असाधारण क्षण है। मंत्री ने कहा कि नया संसद भवन प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का उदाहरण है। उन्होंने बताया कि उद्घाटन के दिन मोदी करीब 60 हजार कार्यकर्ताओं को भी सम्मानित करेंगे, जिन्होंने रिकॉर्ड समय में नया संसद भवन बनाया।

    गृहमंत्री ने बताया आजादी के समय जब इसे नेहरू जी को सौंपा गया था, तब मीडिया ने इसे कवरेज दिया था। गृह मंत्री ने कहा, 1947 के बाद उसे भुला दिया गया। फिर 1971 में तमिल विद्वान ने इसका जिक्र किया और किताब में इसका जिक्र किया। भारत सरकार ने 2021-22 में इसका जिक्र है। 96 साल के तमिल विद्वान भी 28 मई को संसद के उद्घाटन के वक्त मौजूद रहेंगे, वे 1947 में नेहरू को सेंगोल सौंपे जाने के वक्त मौजूद थे।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *