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    arvind panagariya

    अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार जंग भारत के लिए मुनासिब वक्त है कि वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कम्युनिस्ट राष्ट्र के आलावा खुद को विकल्प के रूप में पेश कर आकर्षित करे। न्यूयॉर्क में भारतीय कॉन्सुलेट जनरल में आयोजित कार्यक्रम में पैनल चर्चा के दौरान अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि अमेरिका के साथ “गिव एंड टेक” के जरिये भारत को मोटरसाइकिल और ऑटोमोबाइल के आयात पर शुल्क को कम करना है।”

    उन्होंने कहा कि “विशाल बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से बाहर आ रहे हैं, यह भारत के लिए एक अवसर है कि इन बहुराष्ट्रीय को लाने की कोशिश करे। यह भारत के लिए एक बेहतरीन अवसर है कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करे। वेतन बढ़ रहे हैं और अमेरिका के साथ व्यापार जंग शुरू हो चुकी है।”

    अमेरिका और चीन एक व्यापार जंग में बंधे हुए हैं और बीते वर्ष मार्च से चीन से स्टील और एल्मुनियम के उत्पादों पर आयात पर भारी शुल्क थोप दिया था। इस कदम से वैश्विक व्यापार में भय का माहौल उत्पन्न हो गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 250 अरब डॉलर चीन आयात पर 25 फीसदी शुल्क लगाया था और चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाकर प्रतिकार किया था।

    पनगड़िया ने जोर देकर कहा कि “अमेरिका भारत को अपनने बाज़ारो को खोलने के लिए बोल रहा है। यह भारत के लिए अच्छी चीज है। मैं एकतरफा हो सकता था लेकिन यह अमेरिका के साथ बातचीत का वास्तविक अवसर है। उन्हें कुछ दो और वापसी में कुछ मिलेगा।”

    इस समारोह का शीर्षक “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नयी सरकार में आर्थिक प्राथमिकताएं” था। पनगड़िया साल 2015 से नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष थे। कुछ अन्य मामलो जैसे डाटा लोकलीसाशन मामले है लेकिन हार्ले डैविडसन मोटरसाइकिल के शुल्क जैसे मामलो का हल निकाला जा सकता है।

    उन्होंने कहा कि “हार्ले डैविडसन को शून्य शुल्क से बढ़ना चाहिए। समस्या क्या है? कब तक अपने अपने ही ग्राहकों को सजा देते रहेंगे। आज भारत में ऑटोमोबाइल शुल्क 100 फीसदी के करीब है, इनमे से कुछ शुल्क का कोई तुक नहीं बनता है।” फरवरी में भारत ने हार्ले डैविडसन मोटरसाइकिल पर 50 फीसदी शुल्क को कम कर दिया था।”

    अमेरिका के राष्ट्रपति ने वहां आयात होने वाली भारतीय बाइको पर शुल्कों को बढ़ाने की धमकी दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने निरंतर दावा किया कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर अत्यधिक शुल्क थोप रखे हैं। उन्होंने कहा कि “रूपए की कीमत थोड़ी कम होने दो और यह आपके निर्यातकों के लिए दरवाजे खोलेगा, साथ ही शुल्क उदारवाद की भी क्षतिपूर्ति करेगा। वैसे ही जैसे साल 1990 में हुआ था। मैं इसे पूरी तरह भारत के हित में समझता हूँ।”

    उन्होंने अमेरिका के साथ भारत के मौजूदा व्यापार वातावरण को गंभीर चिंता का स्त्रोत बताया है। पानगड़िया ने कहा कि “आप अमेरिका के साथ व्यापार जंग में नहीं पड़ना चाहते हैं। भारत अभी अमेरिका के अच्छी तरफ है। अमेरिका के साथ मेरे अनुभव से वांशिगटन सिर्फ बातचीत पर यकीन करता है, लो और दो।”

    अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ अभी तीन दिवसीय भारत पर है और दोनों पक्षों के बीच आर्थिक और व्यापार सम्बन्धो पर चर्चा करेंगे। हाल ही में अमेरिका ने भारत ने व्यापार तरजीह वाले देश का दर्जा छीन लिया था। अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधित्व के दफ्तर ने मार्च में कहा कि “भारत ने व्यापक स्तर के कारोबारी बाधाओं को लगा रखा है जिसने अमेरिकी वाणिज्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाला है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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