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    अडोल्फ़ हिटलर की मौत

    हिटलर, एक ऐसा तानाशाह, जिसके ऊपर विश्व के इतिहास के सबसे क्रूरतम तानाशाह होने का टैग लगा है। एक ऐसा तानाशाह जिसने सम्पूर्ण विश्व को द्वितीय विश्व युद्ध की आग में जलने पर मजबूर कर दिया था। एक ऐसा तानशाह जिसने अपनी पूरी जिंदगी में न जाने कितने खूनी खेलों की साजिश रची थी। लेकिन जब वो मरा तो ऐसी मौत मरा जिसकी किसी ने कोई कल्पना भी नही की होगी।

    जब उसके मरने की खबर दुनिया के सामने आई तो दुनिया को यकीन ही नही हुआ कि हिटलर मर चुका है। हिटलर की मौत इतिहास में एक ऐसी मौत है जिसके बारे में आज भी काफी जनसाधारण को नही मालूम है। वैसे तो हिटलर किसी परिचय का मोहताज नही है और उसके बारे में हर आदमी कम-ज्यादा जानता होगा लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि एक सैनिक कैसे एक तानशाह बन गया? और कैसे उसका मरना भी कई सारे सवाल छोड़ गया?

    अप्रैल 1989 में जन्मे हिटलर नें 24 साल की उम्र में यानी 1913 में जर्मन आर्मी की तरफ से प्रथम विश्व युद्ध की लड़ाई लड़ी। 1919 में उसने वर्कर्स पार्टी नाम की एक राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन कर लिया। उसका ओहदा धीरे-धीरे बढ़ रहा था और इसी बीच 1923 में उसने म्यूनिख में तख्तापलट की कोशिश की जिसमे वो असफल हो गया।

    इसके बाद हिटलर को देश द्रोह के मामले में जेल हो गयी। जेल में उसने ‘माई काम्फ’ यानी मेरा संघर्ष नाम की अपनी आत्मकथा लिखी। जिसे उसने अपने राजनीतिक एजेंडे के रूप में भी पेश किया था। इस किताब ने हिटलर को काफी लोकप्रिय बना दिया।

    जब 1924 में हिटलर जेल से बाहर आया तो उसे एक बड़ी संख्या में लोगों का साथ मिला। इसके बाद वो नाज़ी पार्टी को मजबूत करने में लग गया। एक बार जब हिटलर, जर्मनी के मुख्य पटेल पर छा गया तो उसने कभी पीछे मुड़कर नही देखा।

    हिटलर भाषण

    1933 में जर्मनी के राष्ट्रपति हिन्डेनबर्ग ने हिटलर को जर्मनी का चांसलर बना दिया। हाँथ में सत्ता आते ही उसने इन्हें एनबलिंग एक्ट पारित किया। यानी एक ऐसा एक्ट जिसके जरिए उसने पूरी सत्ता अपने हाथ में ले ली। यहीं से वेइमर रिपब्लिक का नाजी जर्मनी में बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई और हिटलर के एक के बाद एक फैसले अमिट रेखा बनती चली गई।

    यह रेखा धीरे-धीरे द्वितीय विश्व युद्ध तक चली आई। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया। हिटलर पोलैंड से लेकर फ्रांस तक एक के बाद एक आसपास कई सारे देशों को जीतता चला गया। उसका प्रभुत्व दुनिया पर लगातार बढ़ता जा रहा था लेकिन 10 जून 1941 को जर्मनी ने रूस पर हमला न करने की आपसी संधि के बावजूद रूस पर हमला कर दिया।

    यह उसका अबतक का सबसे विनाशकारी निर्णय था। यहाँ रूस से जोरदार टक्कर चल रही थी कि इसी बीच 1942 में अमेरिका भी विश्व युद्ध में कूद गया। अमेरिका का विश्व युद्ध में कूदना और जर्मनी का रूस पर हमला करना दोनों ही हिटलर के पतन सबसे महत्वपूर्ण कारण हैं।

    दिसंबर 1943 में सुप्रीम हेडक्वॉर्टर्स ऑफ अलाइड एक्सपीडिशनरी फोर्सेज का गठन हो गया। 1945 आते-आते हिटलर दो तरफ से घिर चुका था। एक तरफ रूस की रशियन रेड आर्मी जर्मन सेना को रूस से खदेड़ने के बाद जर्मनी की तरफ बढ़ते आ रही थी और दूसरी तरफ अलाइड फोर्सेस इटली और फ्रांस को जीतते हुए जर्मनी में दाखिल हो चुके थे।

    अप्रैल 1945 तक जर्मनी हिटलर के हांथों से लगभग फिसल चुका था। अंततः वो दिन आया जो हिटलर के जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ, और वो दिन था 30 अप्रैल 1945।

    वैसे तो हिटलर की मौत कैसे हुई इस पर कई मत हैं। कुछ मानते हैं कि उसकी मौत जहर खाने से हुई, तो कुछ कहते हैं कि उसने खुद को गोली मार ली थी। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना ये है कि उसने सायनाइड का कैप्सूल खा लिया था।

    लेकिन ज्यादातर इतिहासकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि उसने खुद को गोली मार ली थी जबकि मरने से एक दिन पहले ही उससे शादी करने वाली उसकी पत्नी इवा ब्राउन ने सायनाइड नामक जहर खाकर जान दे दी थी।

    हिटलर के मरने के एकदिन पहले से लेकर एक दिन बाद तक की बहुत सारी मत्वपूर्ण बातें आज भी लोगों को नही पता होती है, तो हम आपको सिल-सिलेवार तरीके से बताते हैं कि दरअसल क्या हुआ था उस दिन, जब हिटलर मरा था।

    30 अप्रैल को रात के 1 बजे जनरल विल्हेल्म केइटल उस फ्यूहरर बंकर (हिटलर के निवास स्थान को फ्यूहरर बंकर कहते थे) में गए, जहां हिटलर और लगभग 40 घंटे पहले ही उसकी प्रेमिका से पत्नी बनी इवा ब्राउन रहते थे। जनरल केइटल बताता है कि हमारे सारे सैनिक या तो घेर लिए गए हैं, या मार दिए जा रहे हैं। अब बच पाना मुश्किल हो रहा है।

    हिटलर और उसकी पत्नी एवा ब्राउन
    हिटलर और उसकी पत्नी एवा ब्राउन

    सुबह के 10 बजे तक रूसी सेना उस बंकर से सिर्फ 500 मीटर दूरी पर आ पँहुची थी। इस दौरान हिटलर अपने बर्लिन एरिया के डिफेंस कमांडर हेलमुथ वेइलडिंग के साथ एक मीटिंग करता है। इस मीटिंग में कमांडर वेइलडिंग बताता है कि हमारा सारा गोला-बारूद लगभग खत्म हो चुका है और अगले 24 घंटे में हम ये जंग हार चुके होंगे। इस दौरान कमांडर वेइल्डिंग ने हिटलर से एक आग्रह किया और अनुमति मांगी, एक ऐसा आग्रह जिसको हिटलर पहले कई बार खारिज कर चुका था।

    दरअसल कमांडर वेल्डिंग नें हिटलर से हिटलर और उसकी पत्नी को चुपके से बाहर निकालने का इंतज़ाम (ब्रेकआउट) करने की अनुमति मांगी थी लेकिन इसपर हिटलर कुछ नही बोला।

    दोपहर 1 बजे हिटलर ने आने वाली रात को ब्रेकआउट की एक कोशिश करने की अनुमति दे दी। इसके बाद हिटलर, उसके दो सचिव और उसका निजी रसोइया दोपहर का भोजन करते हैं। इसके बाद लगभग 14:30 बजे तक हिटलर और उसकी पत्नी इवा ब्राउन उस फ्यूहरर बंकर के तमाम कर्मचारियों, मिलिट्री के तमाम सुरक्षा कर्मियों और सचिवों से विदा लेकर अपने स्टडी रूम में चले जाते हैं।

    हिटलर का बंकर
    हिटलर का बंकर

    इसके बाद 15:30 के आस-पास वहां के कई प्रत्यक्ष दर्शियों ने बंदूक चलने की एक तेज आवाज सुनी। उसका एक सुरक्षा कर्मी हेइंग लिंगे ने एक बार बताया था कि कुछ मिनट के इंतजार के बाद उसने स्टडी रूम का दरवाजा खोला तो उसे सबसे पहले बादाम के जलने की बू आयी। जिससे ये सिद्ध होता है कि उस कमरे में सायनाइड नामक रासायनिक पदार्थ उपस्थित था।

    उसने बताया की इवा ब्राउन ने सायनाइड खाया था और उसके चेहरे पर उसका निशान साफ दिखाई दे रहा था। इतने में उसका एक दूसरा सुरक्षाकर्मी ओट्टो गुनुस्च स्टडी रूम में घुसा था। उसने बताया कि जब मैं अंदर पहुँचा तो हिटलर और इवा ब्राउन दोनों मर चुके थे। उन दोनों की लाशें सोफे पर पड़ी हुई थी। उसकी पत्नी इवा ब्राउन उसके बाएं तरफ झुकी हुई थी।

    हिटलर की दाहिनी कनपटी से खून निकल रहा था और उसकी बंदूक उसके पैर के पास पड़ी थी। जिससे ये साफ हो जाता है कि उसने अपनी वाल्थर पी.पी.के. 7.65 पिस्तौल से खुद को गोली मार ली थी। इस दौरान हिटलर का एक और दूसरा सुरक्षा कर्मी उसके स्टडी रूम में दाखिल हुआ था। उसने एक बार कहा था कि हिटलर का सिर मेरे सामने टेबल पर पड़ा था। उसके दाहिनी कनपटी और ठोढ़ी से लगातार खून निकल रहा था और सारा खून जमीन पर बिछे कारपेट पर जमा हो रहा था।

    इसके बाद उसके सुरक्षाकर्मियों का एक छोटा सा ग्रुप जिसमें 5-6 लोग होते है, उसको पेट्रोल में भिगो कर चोर दरवाजे से उस बंकर के बगल स्थित गार्डन में ले जाते हैं और जला देते हैं। आधी रात होते-होते जर्मनों ने कुछ शर्तों के साथ सरेंडर करने का प्रस्ताव भेज दिया।

    अब रूस ने बिना किसी शर्त आत्म समर्पण करने और हिटलर की मृत्यु की पुष्टि करने को कहा। लेकिन जर्मनी न इसपर कोई जवाब नही दिया। सिर्फ 24 घंटे बाद यानी 2 मई 1945 को रूस ने जर्मन चांसलेरी पर अपना अधिकार कर लिया। दो मई को ही हिटलर और इवा ब्राउन के अवशेषों को भी रूसी आर्मी इंटेलिजेंस एजेंसी द्वारा खोज लिया गया था, पर रूस को अब भी कुछ संदेह था। इसलिए उसने पब्लिक में कोई घोषणा नही करायी।

    हालांकि 1 मई को ही ग्रांड एडमिरल कार्ल डोनिट्ज़, जो कि हिटलर की वसीयत में उसका उत्तराधिकारी था, नें जर्मनी के एक रेडियो स्टेशन पर खुद आकर हिटलर की मौत की खबर दे दी।

    By मनीष कुमार साहू

    मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।

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