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    सबरीमाला विवाद: पुरुषों के भेष में मंदिर जा रही दो महिलाओं के कारण बढ़ा तनाव

    आज सुबह सबरीमाला मंदिर में भारी विरोध प्रदर्शन देखा गया जब दो महिलाओं ने पहाड़ी मंदिर तक जाने की कोशिश की। आधार शिविर को पार करने के लगभग एक किलोमीटर बाद, महिलाओं को काफी विरोधियो ने घेर लिया था। एक वाहन में फिर उन महिलाओं को पुलिस द्वारा सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। उन्होंने पहले प्रार्थना के बिना लौटने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि उन्होंने 41 दिन की तपस्या की है।

    ये दो महिला उस नौ सदस्य समूह का हिस्सा है जो मंदिर जा रहे थे। पम्बा आधार शिविर पार करने के बाद उस समूह को रोक दिया गया था।

    उनमे से एक महिला जिनका नाम रेशमा निशांत है, उन्होंने दावा किया कि जबसे उन्होंने अपनी तपस्या शुरू की है, तभी से उन्हें जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं। उनके मुताबिक, “अगर वे मुझे डराकर भेजना चाहते हैं तो मैं कतई वापस नहीं जाउंगी। वहाँ अय्यप्पन हैं। और उन्हें महिलाओं के प्रवेश से कोई अप्पत्ति नहीं है। तो ये लोग क्यों विरोध कर रहे हैं?”

    कन्नूर की निवासी रेशमा निशांत और शनीला सजेश ने मंदिर में लगभग 5.5 किलोमीटर के ट्रेक को कवर किया, लेकिन नाराज भक्तों द्वारा उन्हें सुबह में रोक दिया गया।

    पुरुषों के कपड़े पहने, उन्होंने प्रदर्शनकारियों को चकमा देने के लिए सुबह जल्दी ही हलके समय का इस्तेमाल किया और सुबह 5 बजे ट्रेकिंग शुरू कर दी। पुलिस के संरक्षण का वादा करने के बाद वे दोनों आए थे।

    राज्य के मंदिर मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने महिलाओं का बचाव करते हुए कहा कि व्रत लेने के बाद आने वाली महिलाओं और तीर्थयात्रा के लिए उपवास करने वालों को रोकना ‘वास्तव में बहुत बुरा’ था। सुरेंद्रन ने कहा कि सरकार कोई विवाद नहीं बनाना चाहती थी इसलिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को संभालने में बेहद संयम बरता।

    मंत्री ने कहा-“हमें प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी से किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है, जिसकी पार्टी गाय के नाम पर लोगों का सफाया करने के मिशन पर है।”

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो सोमवार को केरल में थे, उन्होंने वाम सरकार पर सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर हमला बोला। उन्होंने कहा-“सबरीमाला मुद्दे पर सीपीएम सरकार का आचरण इतिहास में किसी भी शासित सरकार का सबसे शर्मनाक कदम के रूप में जाएगा। हम जानते हैं कि सीपीएम सरकार ने कभी आध्यात्मिकता और धर्म का सम्मान नहीं किया मगर किसी ने भी नहीं सोचा था कि ये इतना शर्मनाक हो जाएगा।”

    सीपीएम ने भी ट्वीट के जरिये पीएम मोदी की टिपण्णी को शर्मनाक बताया। उन्होंने लिखा-“(पीएम) मोदी को मनुस्मृति या आरएसएस की शपथ के बजाए भारतीय संविधान को पढ़ना चाहिए, जिसे उन्होंने बरकरार रखने की शपथ ली है।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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