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    सिरिसेना राजपक्षे श्रीलंका

    श्रीलंका में नाटकीय अंदाज़ में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संसद को भंग कर पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंप दी है।

    पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विकरेमसिंघे ने राष्ट्रपति के इस कदम को असंवैधानिक और अवैध बताया है। जाहिर है महिंदा राजपक्षे ने नेताओं को कानून और लोकतंत्र का हवाला देकर सत्ता छोड़ने का आग्रह किया था।

    साल 2015 में पारित संसोधन के मुताबिक राष्ट्रपति संसद को भंग कर प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर सकता है। संसद के अध्यक्ष जयसूर्या जल्द ही इस फैसले का ऐलान करेंगे।

    पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रममसिंघे ने कहा कि मेरा इस पद को त्यागने का कोई इरादा नही है। मेरे पास बहुमत है और मैं प्रधानमंत्री की तरह कार्य करूंगा, मैं प्रधानमंत्री पद पर बना रहूंगा।

    महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने रानिल विक्रमसिंघे के पक्ष में चल रहे टीवी चैनलों को बंद करवा दिया था। इस राजनीतिक रस्साकस्सी के बीच अमेरिका ने ट्वीट कर कहा कि सभी दलों के अनुरोध है कि श्रीलंका के संविधान के तहत कार्य करे और हिंसा से बचे। उन्होंने कहा श्रीलंका की सरकार से उम्मीद है कि जिनेवा की मानवाधिकार, दायित्व, न्याय और सुलह के प्रतिबद्धताओं का पालन करेगी।

    श्रीलंका के मंत्री भी इस फैसले का समर्थन करते नजर नहीं आ रहे हैं।

    मंत्रिमंडल में मंत्री रहे मंगला समरवीरा नें भी इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा है कि यह तख्तापलट की कोशिश है।

    भारत ने इस राजनीतिक उठा पटक में अभी तक चुप्पी साध रखी है। भारत श्रीलंका के राजनीतिक हालातों पर नज़र बनाये हुआ है। सूत्रों के मुताबिक भारत को श्रीलंका मे हो असंवैधानिक गतिविधियों का समर्थन नही करेगा। महिंदा राजपक्षे यदि संवैधानिक और वैध तरीके से सत्ता हासिल करता है तो भारत उसके साथ समझौता करनेके हिचकिचाहट हो सकती है।

    भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने महिंदा राजपक्षे की नियुक्ति का स्वागत किया और उन्हें राष्ट्रवादी कहकर संबोधित किया था।

    महिंदा राजपक्षे को अपने पिछले कार्यकाल में चीनी समर्थक कहा गया था इसलिए उन्होंने इस बार भारत की ओर नरम रुख दिखाया है। सूत्रों के मुताबिक यह केस श्रीलंका की अदालत में जायेगा लेकिन अदालत के नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति महिंदा राजपक्षे ने की है। इसलिए अदालत का परिणाम महिंदा राजपक्षे के पक्ष में जा सकता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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