Fri. Apr 19th, 2024
    अमेरिका यरूशलम फिलिस्तीन

    यरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। कई देशों ने ट्रम्प के इस फैसले की कड़ी निंदा व आलोचना की है।

    साथ ही कई देशों ने चेतावनी दी है कि ट्रम्प का ये कदम फिलीस्तीन व इजरायल के बीच संबंधों को बिगाड़ सकता है और अशांति फैला सकता है। अमेरिका के यूरोप व मध्य पूर्व में सहयोगी देशों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और सऊदी अरब ने भी ट्रम्प के इस फैसले की आलोचना की है।

    सऊदी अरब के रॉयल कोर्ट ने गुरूवार को ट्रम्प के इस निर्णय को “खतरनाक” और “गैर जिम्मेदाराना” बताया। इसी प्रकार संयुक्त अरब अमीरात ने भी ट्रम्प के निर्णय की आलोचना की है।

    जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता के ट्विट के मुताबिक एंजेला ने ने बुधवार को कहा कि जर्मन सरकार अमेरिका के इस निर्णय की स्थिति का समर्थन नहीं करती है, क्योंकी यरूशलम की स्थिति को दो- तिहाई देशों के बहुमतों से हल किया जाना चाहिए।

    फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने ट्रम्प के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि फ्रांस अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के खिलाफ जाने वाले किसी भी प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं देगा। साथ ही फ्रांस ने इसे अफसोसजनक फैसला करार दिया है।

    ब्रिटिश विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने इस कदम को शांति के प्रयासों के बीच में बाधा पहुंचाने वाला बताया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा ने कहा था कि वह ट्रम्प के साथ इस फैसले पर चर्चा करेगी और यरूशलम को इजरायल की राजधानी नहीं मानेगी।

    नीदरलैंड ने ट्रम्प के फैसले को गलत व एकदम उल्टा कदम बताया है। फिलीस्तीनियों और इजरायल के बीच संघर्ष को खत्म करने के लिए दोनों देशों को ही इस समस्या का हल समाधान से करना चाहिए।

    स्वीडन के विदेश मंत्री मार्गोट वॉलस्ट्रम ने अमेरिका को मजबूत चेतावनी देते हुए कहा कि यह असंतोष का नेतृत्व करने के समान है। साथ ही इसे विपत्तिपूर्ण कहा है।

    बेल्जियम के विदेश मंत्री डिडिएर रेंडर्स ने ट्रम्प के इस कदम को बहुत खतरनाक और हिंसा में बढ़ोतरी करने वाला बताया है।

    तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिलडिरिम ने अमेरिका की योजना को गैरकानूनी बताया है।

    पोप फ्रांसिस ने यरूशलम की स्थिति को बनाए रखने के पक्ष में कहा कि यह पवित्र भूमि ईसाईयों के लिए पूजनीय स्थल है। साथ ही इसे यहूदी और मुसलमानों के लिए पवित्र शहर माना जाता है।