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    मोहम्मद बिन सलमान

    ईरान समर्थित यमन के हूथी विद्रोहियों ने सऊदी अरब पर ड्रोन से हमला किया था जिससे मंगलवार को सऊदी की प्रमुख  पाइपलाइन को बंद कर दिया था। हाल ही में कई टैंकरों में रहस्मय हमले से खाड़ी में तनाव गया था। अमेरिका ने सऊदी के चिर प्रतिद्वंदी ईरान से निपटने के लिए मध्य पूर्व में एक युद्धपोत और बमवर्षक की तैनाती की थी।

    सोची में रुसी विदेश मंत्री के साथ संयुक्त बयान में अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने कहा कि “हम अमेरिका के साथ मूल रूप से कोई जंग नहीं चाहते हैं।” ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला खमेनेई ने कहा कि “यह आमना-सामना सेना का नहीं है क्योंकि अमेरिका के साथ कोई जंग नहीं होने जा रही है।”

    सऊदी अरब विश्व का सबसे बड़ा कच्चे तेल का उत्पादक और ओपेक का सदस्य है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को दी पम्पिंग स्टेशन को निशाना बनाया गया था। वह प्रतिदिन पचास लाख बैरल तेल का पूर्वी प्रान्त से लाल सागर में निर्यात करते हैं।

    हूथी विद्रोहियों ने दावा किया था कि उन्होंने सऊदी अरब के विभिन्न पम्पो पर हमला किया है जो उनके खिलाफ सैन्य संगठन का नेतृत्व करता है। ऊर्जा मंत्री खालिद अल फलीह ने कहा कि “सऊदी अरामको को फौरी तौर पर उसके हालात के मूल्याङ्कन के लिए बंद किया गया है लेकिन इससे तेल के उत्पादन और निर्यात पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”

    उन्होंने कहा कि “यह वारदात आतंकवाद है क्योंकि इससे न सिर्फ सल्तनत पर हमला किया गया बल्कि विश्व को तेल का निर्यात और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर निशाना साधा था।” हूथी के प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुलसलम ने ट्वीट कर कहा कि “यह यमन नागरिकों पर बर्बरता को जारी रखने की प्रतिक्रिया थी।”

    बयान में हूथी ने अन्य हमले की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि “हम अनोखे और व्यापक स्तर पर अपने दुश्मन देशों के दिलो में अभियान के लिए सक्षम है। सऊदी अरब और यूएई ने मार्च 2015 में यमन जंग में दखलंदाज़ी की थी और इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय समर्थित सरकार का विद्रोहियों के खिलाफ व्यापक हो गया था।

    मंगलवार को 1200 किलोमीटर की पाइपलाइन को निशाना बनाया गया था। हाल ही में यूएई के चार जहाजों को क्षतिग्रस्त किया गया था। वांशिगटन और उसके खाड़ी सहयोगियों ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी हितो के खिलाफ ईरान को कार्रवाई न करने के लिए चेताया था।

    डोनाल्ड ट्रम्प ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट्स को खारिज किया है जिसके तहत अमेरिका के अधिकारी ईरान के द्वारा परमाणु हथियारि और संभावित हमले से निपटने के लिए मध्य पूर्व में 120000 सैनिको को भेज रहे हैं।

    डोनाल्ड ट्रम्प ने पत्रकारों से कहा कि “मेरे ख्याल से यह फर्जी खबर है, मैं इसमें क्या कर सकता हूँ। हमने ऐसी कोई योजना नहीं बनायीं है। आशावादी है कि हमने ऐसी कोई योजना नहीं बनायीं है और अगर बनाते तो हम इससे भी बड़ी संख्या में सैनिको का जखीरा भेजते।”

    इराक और सीरिया में अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन ने कहा कि उनके सैनिको को क्षेत्र में ईरान से कोई खतरा महसूस नहीं हो रहा है। इराक और सीरिया में ईरानी समर्थित सेनाओं से कोई खतरा नहीं बढ़ा है। यूएई के सरकारी अधिकारी ने कहा कि सऊदी अरब के टैंकर अल मरजोकह और अमजद पर फ़ुजैराह में किया गया था। इसमें नॉर्वे का एंड्रिया विक्ट्री जहाज और एक यूएई का जहाज भी था।

    रियाद ने कहा कि “दो टैंकरों को क्षति हुई है लेकिन तेल का रिसाव नहीं हुआ है।” यूएन ने सभी पक्षों से क्षेत्र में संयमता को बरक़रार रखने के लिए संयमता बरतने का आग्रह किया है। हमले की खबरों के कारण शुरुआत में तेल के भावो में उछाल आ गया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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