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    मैरी कॉम

    भारतीय मुक्केबाजी स्टार एमसी मैरी कॉम का कहना है कि एशियाई चैंपियनशिप को छोड़ने का उनका फैसला ओलंपिक योग्यता की संभावना बढ़ाने के लिए एक बड़ा योजना का हिस्सा है, जब उनके वजन वर्ग में प्रतिस्पर्धा काफी “कठिन” हो गई है।

    मैरी कॉम जिन्होने पिछले साल दिल्ली में अपना छठा विश्व चैंपियशिप गोल्ड जीता था वह विश्व चैंपियनशिप येकातेरिनबर्ग, रुस के माध्यम से 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के लिए देख रही है। एशियन चैंपियनशिप अगले महीने थाईलैंड में खेली जाएगी।

    टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक मैरी कॉम ने कहा, ” यह साल मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना मेरा अहम लक्ष्य है। किसी प्रतियोगिता में भाग लिए बिना में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नही कर पाऊंगी। यह बहुत मुश्किल होगा। मैं अपने 51किग्रा भार वर्ग के सभी प्रतिद्वंद्वियो के बारे में जानती हूं और जानती हूं की वह मेरी तुलना में कितने मजबूत है।”

    “मैं पहले इंडियन ओपन चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करना चाहूंगी और फिर 51 किग्रा भार वर्ग में भाग लेने के लिए टूर्नामेंट चुनूंगी। मैं ओलंपिक के लिए क्वालिफाई होने के लिए देख रही हूं और इसलिए मैंने एशियन चैंपियनशिप छोड़ने का फैसला किया है कि मैं विश्व में होने वाले मुकाबले के लिए सही से तैयारी कर सकूं।”

    2012 ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता ने आगे कहा, ” बिना किसी रणनीति के लिए मैं ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नही कर सकती। इंडियन ओपन भी मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तो इसलिए मैंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई होने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टूर्नामेंटो को चुना है।”

    2019 आईबा विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप 7 से 21 सितंबर के बीच खेला जाएगा।

    मैरी कॉम इस टूर्नामेंट में 51 क्रिगा में भाग लेती नजर आएंगी क्योंकि ओलंपिक में भी 48 क्रिगा का कोई वर्ग नही है। मणिपुरी ने इस महीने के शुरू में एक प्रशिक्षण कार्यकाल के दौरान जर्मनी में 51 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा की थी और अपराजित होकर लौटी थी।

    उन्होने कहा, ” मैं पिछले एक साल में पहले ही 51 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर रही हूं। मैं जानती हूं कि मुझे किस विभाग में काम करना है फिटनेस के मामले में कोई मुद्दा नही है। मुझे केवल इस समय अपने शक्ति और सहनशक्ति में ध्यान देना है।”

    अपने दस्ताने पहनने का फैसला करने के बाद उसकी योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, तीन बच्चो की 36 वर्षीय मां ने कहा कि वह उस खेल को वापस देना चाहती है जिसने उसे घरेलू नाम दिया।

    उन्होने आगे कहा, ” यह कुछ ऐसा है जो मेरी रणनीति में है। लेकिन इस समय में अपने आगामी प्रतियोगिताओ पर ध्यान देना चाहती हूं। मणिपुर में मेरी खुद की अकादमी है। अपने सन्यांस के बाद में वहा फुल-टाइम कोचिंग देना चाहती हूं।”

    “अगर भारत सरकार और बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को महिला बॉक्सिंग स्तर में सुधार के लिए मेरी सर्विस की जरूरत होगी तो मैं उनके साथ काम करने को तैयार हूं।”

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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