Wed. Apr 17th, 2024
    मुहांसे प्रकार, इलाज, उपाय pimples treatment in hindi

    आम तौर पर हम सब रोज फुंसी की समस्या से जूझते है। लेकिन यदि यही समस्या विकराल रूप ले लें तब इसे एक्ने या मुहाँसे के नाम से जाना जाता है।

    विषय-सूचि

    मुहांसे क्या है? (pimples in hindi)

    मुहांसे चेहरे की वह स्थिति है जिसमें फुंसी हमारी त्वचा पर लंबे समय तक बनी रहती है। इसकी वजह से चेहरा पूरी तरह सूज जाता है। इसलिए चेहरे की सूजी हुई और फुंसी से भरी हुई स्थिति को मुहांसे कहा जाता है। फुंसी के कारण चेहेरे, कंधे, पीठ, गले और ऊपरी बाहों पर धब्बे और मुहाँसे बन जाते है।

    मुहाँसे या फुंसी कैसे होता है (how do pimples happen in hindi)

    यह त्वचीय बीमारी वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन सामान्यतः यह यौवनारम्भ या तारुण्य (12 से 24 वर्ष के उम्र के बीच) के वक़्त देखी जाती है। यह बीमारी वसामय ग्रंथियों (sebaceous glands) के सक्रीय होने के कारण होती है जो मुख्यतः यौवनारम्भ के समय सक्रीय होती है। इसकी सक्रियता पुरुष हॉर्मोन के द्वारा होती है जो पुरुष और महिलाओ दोनों में अधिवृक्क ग्रंथि (adrenal gland / एड्रेनल ग्लैंड) के द्वारा उत्पादित होती है। वसामय ग्रंथि तेल का उत्पादन करती है और यही तेल मुहाँसों का कारण बनती है।

    मुहाँसे का कारण (causes of pimples in hindi)

    1. बैक्टीरियल कारण:-

    अभी-अभी हमने बात की कि वसामय ग्रंथि से उत्पादित होने वाला तेल ही इस मुहाँसे का कारण बनता है। अब हम इस पूरी प्रक्रिया को समझेंगे कि कैसे यह तैलीय द्रव्य इस मुहाँसे में रूपांतरित होती है:-

    मुहांसे का कारण

    1. हमारे चेहेरे पर छोटे-छोटे छिद्र होते है जो चेहेरे के अंदर उपस्थित इस ग्रंथि से जुड़े होते है। यह जुड़ाव फॉलिकल्स (कूप) के कारण होता है। फॉलिकल्स छोटी-सी नलिकाएँ होती है जो द्रव्य का उत्पादन और उसका स्राव करती है।
    2. वसामय ग्रंथि तैलीय द्रव्य का उत्पादन करती है जिसे सीबम (sebum) के नाम से जाना जाता है।
    3. यह सीबम, फॉलिकल्स के जरिए मरी हुई कोशिकाओं को त्वचा के सतह पर ले जाती है।
    4. फॉलिकल्स के जरिए त्वचा पर छोटे-छोटे बालों का विकास होता है।
    5. इस तरह यह फॉलिकल्स मरी हुई कोशिकाओं को त्वचा से बाहर कर उन्हें चेहेरे के अंदर पनपने से रोकते है।
    6. जब इन फॉलिकल्स में किसी वजह से अवरोध उत्पन्न हो जाता है तो इन मरी हुई कोशिकाओं का परिवहन रुक जाता है। इस वजह से मरी हुई कोशिकाओं को ले जानेवाली सीबम और यह कोशिकाएँ त्वचा के निचली स्तर पर जमा हो जाते है।
    7. यह कोशिकाएँ, सीबम और बाल, एक साथ मिलकर एक प्लग (plug) का निर्माण करते है।
    8. यह प्लग बैक्टीरिया के द्वारा संक्रमित हो जाता है जिसकी वजह से सूजन होने लगती है।
    9. जब यह प्लग विभाजित होने लगता है तब मुहाँसो का निमार्ण होता है।
    10. जो बैक्टीरिया इस प्लग को संक्रमित करता है उसका नाम प्रोपिओनीबैक्टीरियम एक्नेस /पि एक्ने (P. acnes / Propionibacterium acnes) है।
    11. मुहाँसों की बढ़ने की त्रीवता और उसकी गंभीरता इस बैक्टीरिया के विभिन्न प्रजातियों पर निर्भर करती है। इस बैक्टीरिया की हर प्रजाति फुंसी का कारण नहीं बनती है।

    2. हार्मोनल कारण:-

    इसके अलावा कई होर्मोनेस भी फुंसी का कारण बनते है जो त्वचा में इस बैक्टीरिया के प्रवेश और उनके विकास में बहुत मदद करते है। कई अध्यन्न में यह पता चला है कि एण्ड्रोजन (androgen) हॉर्मोन मुहाँसों के उत्पन्न होने का मुख्य कारण बनता है।

    इस हॉर्मोन का उत्पादन कई कारणों की वजह से सक्रीय/ शुरू होता है। इस हॉर्मोन का स्तर किशोरावस्था में बढ़ जाता है। महिलाओं में यह हॉर्मोन एस्ट्रोजन (estrogen) में रूपांतरित हो जाता है।

    जब इस हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है तब त्वचा के अंदर तैलीय ग्रंथियों का आकार बढ़ने लगता है। बढ़ी हुई ग्रंथियाँ अधिक सीबम का स्राव करती है। अधिक सीबम के कारण छिद्रों का द्वार टूट जाता है जिसके कारण बैक्टीरिया आसानी से इन छिद्रों में प्रवेश कर विकास कर पाती है।

    3. अन्य कारण:-

    कई अध्यन्न में यह बात सामने आई है कि आनुवांशिक कारण भी मुहाँसों के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसके अलावा कई अन्य बाते भी एक्ने का कारण बनती है जैसे कि:-

    • ऐसी दवाइयाँ जो एण्ड्रोजन और लिथियम समाविष्ट करती है
    • हार्मोनल बदलाव
    • भावनात्मक तनाव
    • मासिक धर्म
    • सौंदर्य प्रसाधन, इत्यादि।

    मुहाँसे या फुंसी के प्रकार (types of pimples in hindi)

    मुहाँसों के कई प्रकार है जिनमें रंग, आकार और दर्द के स्तर में व्यापक रूप से भिन्नता पाई हैं:-

    मुहांसों के प्रकार

    1. वाइटहेड्स (whiteheads):- ये आकार में छोटे होते है और सामान्यतः त्वचा के अंदर पाए जाते हैं।
    2. ब्लैकहेड्स (blackheads):- यह रंग में काले होते हैं और त्वचा की सतह पर पनपते हैं। इसलिए स्पस्ट रूप से दिखाई देते है।
    3. पेपुल्स (Papules):- यह भी त्वचा की सतह पर पनपते है लेकिन यह गुलाबी रंग और आकार में छोटे होते है।
    4. पोस्टुलेस (Pustules):- यह भी त्वचा की सतह पर स्पष्ट रूप से दिखाई देते है। इनका आधार लाल रंग का होता है तो इनके ऊपर के भाग में मद (पस) जमा होते है।
    5. नोबुल्स (Nobules) :- यह त्वचा की सतह पर स्पष्ट रूप से दिखाई देते है। यह आकार में बड़े, ठोस और बहुत ही अधिक दर्दकारी मुहाँसे होते है जो त्वचा में गहराई तक स्थापित रहते है।
    6. सिस्ट्स (Cysts):- यह भी त्वचा की सतह पर स्पष्टतः दिखाई देते है। यह भी दर्दकारी होते है और साथ ही इनमें पस भरा हुआ होता है। ठीक होने के बाद भी इनके निशान आसानी से जाते नहीं है।

    मुहांसों का उपचार (pimples treatment in hindi)

    मुहांसों का इलाज मुख्यतः उनकी त्रीवता और उनकी जड़ता पर निर्भर करते है और इसलिए हर चरण के मुहाँसों के लिए इलाज भी भिन्न-भिन्न होते है।

    1 . हल्के मुहाँसों का इलाज:-

    ऐसे मुहाँसों का इलाज ओवर-दी-काउंटर/ ओटीसी (OTC) दवाइयों से किया जाता है जो मुख्यतः जैल, साबुन, पैड, क्रीम, और लोशन के रूप में उपलब्ध होते है। इनमें से क्रीम और लोशन, संवेदनशील त्वचा के लिए और अल्कोहल निहित जैल तैलीय त्वचा के लिए बेहतर साबित होते है।

    ओटीसी दवाइयाँ निम्नलिखित सक्रीय तत्वों को समाविष्ट करती है:-

    • रेसोर्सिनोल (Resorcinol) जो वाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स से छुटकारा दिलाने में मदद करते है।
    • बेंज़ोइल पेरोक्साइड (Benzoyl peroxide) जो बैक्टीरिया को ख़त्म करने, कोशिकाओं को बदलने की प्रक्रिया में तेजी लाने और सीबम के स्राव को धीरे करने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करते है।
    • सैलिसिलिक एसिड (Salicylic acid) जो वाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स को ख़त्म कर सूजन को कम करते है।
    • सल्फर (Sulfur) जिसका सही कार्य ज्ञात नहीं है।
    • रेटिन-ए (Retin-A) जो छिद्रों को खोलने का कार्य करते है।
    • एजिलैक एसिड (Azelaic acid) जो फॉलिकल्स की दीवारों को मजबूत करने के साथ-साथ बैक्टीरिया के विकास को भी रोकते है।

    इन दवाइयों के इस्तेमाल से कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते है लेकिन लगातार उपयोग के बाद यह दुष्प्रभाव रुक या कम हो जाते है ।

    2. मध्यम से गंभीर मुहांसों का इलाज:-

    इस तरह के मुहांसों का इलाज मुख्यतः त्वचा के विशेषज्ञ, जिन्हें त्वचा-चिकित्सक (डर्मेटोलॉजिस्ट) कहा जाता है, करते है। इस तरह के मुहांसों का इलाज ओटीसी जैसी दवाइयों से ही होता है लेकिन उनका प्रभाव और त्रीव कर दिया जाता है। इसके अलावा मौखिक या सामायिक एंटीबायोटिक दवाइयाँ भी इसके इलाज के लिए निर्धारित की जाती है। आइए जानते है कि ऐसी कौनसी दवाइयाँ है जो इसके इलाज के लिए दी जाती है:-

    मुहांसों का उपचार

    1. कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन:- जब सिस्ट प्रकार के मुहांसे गंभीर रूप से सूज जाता है तब उसके फूटने का डर रहता है जिससे गंभीर निशान बन सकते है। इससे बचने के लिए चिकिस्तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इंजेक्शन देते है जो सूजन को कम कर ठीक होने की प्रक्रिया को गति प्रदान करते है जिससे निशान बनने में रुकावट पैदा होती है। इसके प्रयोग से सिस्ट थोड़े ही दिनों में अपने-आप आसानी से और बिना कोई निशान बनाये फूट जाते है।
    2. मौखिक एंटीबायोटिक दवाइयाँ:- ऐसी दवाइयों का सबसे बेहतरीन उदाहरण है इरिथ्रोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन। ऐसी दवाइयाँ करीब 6 महीनो के लिए दी जाती है। शुरुवात में यह दवाइयाँ ज्यादा मात्रा में दी जाती है लेकिन जब मुहाँसे ठीक होने लगता है तब इनकी मात्रा भी कम कर दी जाती है। ऐसी दवाइयाँ बैक्टीरिया के गुरण को कम करती है। बैक्टीरिया की कुछ जातियाँ इन दवाइयों का प्रतिरोध करती है जिसकी वजह किसी अन्य एंटीबायोटिक की जरुरत पड़ती है।
    3. मौखिक गर्भनिरोधक दवाइयाँ:- ऐसी दवाइयाँ मुख्यतः महिलाओ के लिए होती है जिनमें ऐसी दवाइयाँ ग्रंथियों से होनेवाले अधिक स्राव को कम करती है। महिलाओं में लंबे समय तक मुहाँसों के इलाज के लिए ऐसी ही दवाइयाँ निर्धारित की जाती है।
      लेकिन ऐसी दवाइयाँ ऐसी महिलाओ के लिए उपयुक्त नहीं है जो:-
    • रक्त घनत्व विकार से जूझ रही है
    • जो धूम्रपान करती हो
    • जिन्हें पहले माइग्रेन की बीमारी हो चुकी है
    • जिनकी उम्र 30 वर्ष से अधिक है

    ऐसी दवाइयों के सेवन के पहले प्रसूतिशास्री (गायनाकोलॉजिस्ट) से सलाह अवश्य लें।

          4.  सामरिक रोगाणुरोधक दवाइयाँ:-

    ऐसी दवाइयाँ भी बैक्टीरिया के गुरण को रोकती है। सबसे बेहतरीन उदाहरण है क्लिंडामाइसीन और सोडियम सल्फासीटामेड। ऐसी दवाइयों के तौर पर चिकिस्तक मुख्यतः सामायिक रेटिनॉल निर्धारित करते है जो छिद्रों को साफ़ कर वाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स के विकास को रोकते है। यह रेटिनॉल विटामिन ए का यौगिक है। ऐडापैलेन, टाज़ारोटीन, और ट्रिटिनॉइन इत्यादि इस रेटिनोल के उदाहरण है।

          5. इसोट्रेटिनॉइन:-

    यह सबसे अधिक प्रभावशाली मौखित रेटिनॉइड है जो सबसे गंभीर सिस्ट मुहाँसों को रोकने या अन्य एक्ने जिनपर अन्य दवाइयाँ बेअसर रही है, के इलाज के लिए निर्धारित किया जाता है। इस दवाई के बहुत से अधिक दुष्प्रभाव भी है जिसकी वजह से चिकिस्तक रोगी से पहले यह हस्ताक्षर करवा लेते है कि वे इस दुष्प्रभाव को झेलने के लिए सहमत है। सूखी त्वचा, सूखे होंठ, बहती हुई नाक और गर्भवती महिला में पल रहे बच्चे में असमान्यता इत्यादि ऐसी ही कुछ दुष्प्रभाव है। यदि कोई इस दवाई का सेवन कर रहा है तो उसे विटामिन ए के सेवन से बचना चाहिए अन्यथा इस विटामिन की अधिकता शरीर में हो सकती है।

    मुहांसों को रोकने के उपाय (pimples on face treatment at home in hindi)

    जो फुंसी की समस्या से जूझ रहे है या जो मुहाँसों की समस्या से छुटकारा पाना चाहते है वे नीचे दिए गए उपाय अवश्य करें:-

    • हर रोज अधिक से अधिक दो बार अपने चेहेरे को गर्म पानी और हल्का-सा साबुन लगाकर धोए।
    • यदि मुहाँसे हुए है तो उन्हें खुद से फोड़ने की कोशिश ना करें क्योकि ऐसा करने से स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
    • मुहाँसों को खुद से कुछ करने की कोशिश ना करें क्योकि ऐसा करना आपके चेहरे पर मुहाँसों के निशान और झुर्रियों का कारण बन सकते है।
    • यदि मुहाँसे हुए है तो बार-बार अपनी त्वचा को ना छुएँ।
    • जब आप फोन पर बात कर रहे हो तो उसे अपने चेहरे से दूर रखकर बात करें क्योकि हो सकता है कि उस टेलीफोन पर दूसरे व्यक्ति का सीबम और कुछ कोशिकाओं के अवशेष लगे हुए हो।
    • किसी भी तरह की क्रीम या लोशन लगाने के पहले अपने हाथो को अच्छी तरह से अवश्य धोएँ।
    • यदि आपको मुहाँसे आपकी पीठ, कंधे या छाती पर हुए है तो ढील-ढाल कपड़े पहने जिससे त्वचा को भरपूर हवा मिल सके। तंग कपड़ो को पहने से बचे। कपड़ो को रोज धोएँ।
    • अपनी त्वचा के अनुसार सौंदय्र प्रसाधन को चुने। तैलीय सौंदर्य प्रसाधन के प्रयोग से बचें। सोने के पहले मेकअप अवश्य उतार दें।
    • शेविंग करने के पहले अपनी दाढ़ी को गर्म या साबुन घुले पानी से मुलायम कर लें और शेविंग करते वक़्त इलेक्ट्रिक शेवर या तेज और सुरक्षित रेजर का उपयोग करें।
    • अपनी बालों को हमेशा साफ़ रखे क्योकि इनमें सीबम और कोशिकाओं के अवशेष जमा हो सकते है।
    • अत्यधिक सूर्य के प्रकाश से दूर रहे क्योकि सूर्य का प्रकाश अधिक सीबम के स्राव को उत्तेजित कर सकता है।
    • जितना हो सके तनाव और चिंता से दूर रहे क्योकि ये कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन के स्राव को बढ़वा देते है जिससे एक्ने होने आसार बहुत अधिक बढ़ जाते है।
    • अपनी त्वचा को गर्म जगहों पर ठंडा और सूखा रखने की कोशिश करें जिससे पसीना ना हो।

    मुहांसों को रोकने के घरेलु उपाय (pimples hatane ka tarika in hindi)

    मुहांसों या फुंसी को रोकने के कुछ घरेलु उपाय भी है लेकिन सभी के सभी उपाय अध्यन द्वारा साबित नहीं हुए है।

    1. भोजन:- यदि आप विटामिन ए, इ और जिंक से युक्त भोजन का सेवन करते है तो आपको गंभीर एक्ने होने के आसार बहुत कम हो जाते है। हालाँकि अभी तक भोजन और एक्ने के बीच का संबंध वैज्ञानिक नहीं समझ पाए है।
    2. चाय के पेड़ का तेल:- इंडियन जर्नल ऑफ़ डर्मेटोलॉजी, वेनेरोलॉजी, एंड लेप्रोलॉजी में छपे एक अध्यन्न के अनुसार 5 प्रतिशत चाय के पेड़ के तेल मध्यम से गंभीर एक्ने के इलाज में सहायता कर सकते है।
    3. चाय:- चाय में पाए जानेवाले पॉलीफेनोल्स का उपयोग कुछ सामयिक दवाइयों को बनाने में किया जाता है। कुछ सबूतों के आधार ऐसा साबित हुआ है कि यह रसायन सीबम के उत्पादन को कम कर एक्ने का इलाज करता है। इस रसायन के प्रयोग के लिए चाय से इन्हें अलग किया जाता है ना कि चाय का प्रयोग किया जाता है।
    4. मॉइस्चरिज़ेर्स:- मॉइस्चरिज़ेर्स त्वचा को मुलायम करते है। यह खासकर उनके लिए लाभकारी सिद्ध होते है जो एक्ने का इलाज करवा रहे है जैसे कि वे रोगी जो इसोट्रेटिनॉइन का उपयोग एक्ने के इलाज के लिए कर रहे है। मॉइस्चरिज़ेर्स में 10 प्रतिशत तक एलोवेरा समाविष्ट होती है या विच हज़ाल नामक एक तत्व होता है जो त्वचा को मुलायम करने और कीटाणुओं को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

    वैसे मुहाँसे कोई जानलेवा या खतरनाक बिमारी नहीं और इसका इलाज भी संभव है लेकिन यदि उसका समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो वे लोगों के बीच शर्म का कारण बन सकते है।

    मुहांसों के कारण चेहरा और त्वचा बहुत ही भयानक और डरावना दिखने लगता है जिसकी वजह से लोग मुहांसों के रोगियों से दूरी बनाए रखते है। इसलिए इसका समय पर इलाज करना बहुत आवश्यक है।

    4 thoughts on “मुहांसे (फुंसी): कारण, इलाज और घरेलु उपाय”
    1. mere peeth aur munh par bahut saari funsi ho rakhi hai. maine iske liye ek davai li thi, lekin isse aur jyada ho gayi hai, iske liye koi gharelu upaay suggest karo.

    2. mere face par bahut saare pimples ho rahe hainmaine kai dawaayen bhi le li lekin ye sahi nahi ho rahe ab mujhe kya karnaa chaahiye?

    3. main jab bhi sir mein tel lagaata hoon to mere face oily ho jaata hai and uspe pimples ho jate hain inko prevent karne kaa koi tareeka hai kyaa?

    4. Mere pimples khatm ho gaye hain lekin unke marks abhi bhi reh gaye hain aisa koi tareeka bataayen jinse ve marks saaf ho jaayen

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