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    मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलीह

    मालदीव में विपक्षी पार्टी के नेता इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने राष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत का दावा ठोक दिया है।

    आधिकारिक तौर पर चुनाव के नतीजे घोषित न होने के बावजूद भारत ने मोहम्मद सोलिह को शुभकामनाएं दी, साथ ही उनकी जीत से भारत के माथे से चिंता की लकीरे हल्की हो गयी है।

    रिपोर्ट के मुताबिक इस हैरतअंगेज चुनावी रण में मोहम्मद सोलिह ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मात दे दी। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के चुनाव पर निगरानी रखने के दायित्व से पीछे हटने के कारण चुनाव में हेराफेरी होने का डर था।

    मालदीव के विदेश मंत्रालय मालिदी डेमोक्रेटिव पार्टी के उम्मीदवार मोह्हमद सोलिह 1,36,616 मतों से जीते है। भारत के लिए यह सकारात्मक सन्देश है।

    नई दिल्ली का अब्दुल्ला यामीन के साथ काफी मुद्दों पर विवाद था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोलिह को जीत की बधाई दी और कहा उम्मीद है चुनाव आयुक्त आधिकारिक इस जीत पर जल्द ही मोहर लगा देगा।

    शाम को प्रधानमंत्री मोदी ने सोलिह को बधाई दी साथ ही उन्होंने कहा मालदीव राष्ट्रपति चुने जाने के बाद शान्ति, लोकतंत्र और समृद्धि को मज़बूत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश संबंधों को मज़बूती देने के लिए हामी भर चुके है।

    साथ ही कहा कि ये चुनाव सिर्फ लोकतंत्र को फिर से बहाल करने के लिए ही नहीं बल्कि लोकतंत्र और कानून को बनाये रखने की प्रतिबद्धता को भी बनाए रखने की इच्चाशक्ति के लिए भी जरुरी था।

    पडोसी पहले की नीति के तहत भारत मालदीव के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाकर साझेदारी को गहरा कर कार्य करने की इच्छा रखता है। मोहम्मद सोलिह की सफलता के पीछे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम और मोह्हमद नशीद का हाथ है। जिनके लिए आगे चुनौतियाँ तैयार खड़ी है।

    पिछले कुछ वर्षों से अब्दुल्ला यामीन चीन के निकट हुए है हालाँकि उम्मीद है अब भारतीय राजनीति और सुरक्षा मसलों पर मालदीव गौर करेगा।

    मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत को दो आर्मी विमान को वापस ले जाने के लिए कहा। उन्होंने सैकड़ों भारतीय कर्मचारियों के वीजा रद्द कर दिए जबकि बीजिंग के साथ मुफ्त व्यापर समझौते पर हस्ताक्षर किये। साथ ही चीन की महत्वकांची परियोजना बेल्ट एंड रोड पर भी दस्तखत किये।

    राष्ट्रपति यामीन ने नई दिल्ली से निर्यात दवाइयों और खाद्य सामग्री को अपने नियंत्रण में कर किया। जिसका सबक भारत ने नेपाल से सीखा था। सूत्रों के मुताबिक मालदीव को सामग्री निर्यात न करना रणनीति का हिस्सा था। भारत मालदीव की जनता को संकट में नहीं डालना चाहता था। नई दिल्ली ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी जिससे मालदीव पर आर्थिक संकट न मंडराये।

    संबंधों में खटास

    भारत और मालदीव के रिश्ते तब बिगड़ना शुरू हुए जब मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन ने 5 फरवरी को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी।

    विपक्षी नेताओं को रिहा करने के शीर्ष न्यायालय के आदेश की राष्ट्रपति ने अवहेलना की। भारत ने मालदीव के इस कदम की आलोचना की साथ ही चुनाव या राजीनीति प्रक्रिया से बंदी राजनताओं को बरी करने का अनुरोध किया। यह आपातकाल 45 दिनों तक चला लेकिन भारत अब माले से संबंधों को आगे बढ़ाने की तरफ देख रहा है।

    अलबत्ता अब्दुल गयूम और मोहम्मद नशीद के भी अपने कार्यकाल के दौरान चीन के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहे हैं। हालाँकि ये देखना दिलचस्प होगा कि मोहम्मद सोलिह नई दिल्ली की और कैसा रुख अख्तियार करते है।

    राष्ट्रपति यामीन ने सोमवार को हार स्वीकार कर ली है। मोहम्मद सोलिह के लिए चीन के कर्ज के मकड़जाल से मालदीव को छुड़ाना एक चुनौती होगी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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