Thu. Apr 18th, 2024

    मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में आए एक साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। पार्टी के भीतर आस लगाए कार्यकर्ताओं का धैर्य जवाब दे जाए, इसके पहले ही पार्टी कार्यकर्ताओं को लेकर चिंतित है। पार्टी कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए सत्ता में हर जिले की हिस्सेदारी-भागीदारी का रोडमैप बना रही है और उस पर जल्दी ही अमल किया जाएगा।

    कमलनाथ मंत्रिमंडल में 28 सदस्य हैं, और ये सभी 20 जिलों से आते हैं। वहीं 32 जिले ऐसे हैं, जिनकी सत्ता में हिस्सेदारी नहीं है। पार्टी हाईकमान चाहता है कि सत्ता में राज्य के हर जिले की हिस्सेदारी हो, ताकि कार्यकर्ताओं को संतुष्ट किया जा सके।

    पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव के दौरान में कई पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने से रोका गया और उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी का भरोसा दिलाया गया। अब वही नेता राजनीतिक नियुक्तियां चाह रहे हैं। निगम, मंडल, आयोग और सहकारी क्षेत्र में 150 से ज्यादा नियुक्तियां होने की संभावना है।

    राजनीतिक नियुक्तियों में किन लोगों को प्राथमिकता दी जाए, इस पर पार्टी के भीतर मंथन का दौर चल रहा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया भी कह चुके हैं कि वरिष्ठ विधायक, पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जाएगा। बावरिया की इस मसले पर मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी चर्चा हो चुकी है।

    कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, राज्य में गुटों में बंटी पार्टी के नेता अपने-अपने चहेतों को बड़ी जिम्मेदारी दिलाना चाहते हैं, वहीं विधानसभा और लोकसभा चुनाव हार चुके प्रमुख नेता भी जिम्मेदारी चाह रहे हैं। पार्टी भी प्रमुख नेताओं के कुछ करीबियों को पद देने पर सहमत है। मगर किसी को भी यह पद दे दिया जाए, ऐसा न हो, इसकी भी हिदायत दी जा रही है। इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि रेवड़ियां बांटने का संदेश आम कार्यकर्ता तक नहीं जाना चाहिए। ऐसा हुआ तो कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ेगी।

    सूत्रों का कहना है कि पार्टी नए प्रदेशाध्यक्ष के अलावा नियुक्तियों को लेकर फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ का दिल्ली दौरा हुआ है। संभावना इसी बात की है कि आगामी दिनों में जल्द ही कोई फैसला सामने आ सकता है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *