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    लखनऊ, गाजियाबाद

    भारत में प्रदूषण की समस्या काफी पैर पसार चुकी है। यहां पर कई राज्यों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि आम लोगों को श्वास लेने में काफी तकलीफ हो रही है। खासकर भारत की राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो वर्तमान में यहां पर प्रदूषण ने भयानक स्थिति ले ली है।

    दिल्ली में पिछले कई सालों से प्रदूषण बढ़ रहा है। कोर्ट ने प्रदूषण को कम करने के लिए दिवाली के समय पर दिल्ली में पटाखों पर बैन तक लगा दिया था।

    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार आम तौर पर एक्यूआई का स्तर सामान्य रूप से 100 तक रहना चाहिए। लेकिन दिल्ली में वर्तमान में हवा की गुणवत्ता का सूचक 451 के स्तर पर जा पहुंचा है। इसका अधिकतम स्तर 500 है।

    दिल्ली में इस समय प्रदूषण इस स्तर पर चला गया है कि पूरे राज्य में धुंध छाई हुई है। लोगों को पास में से भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। प्रदूषण की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि करीब 50 सिगरेट रोज पीने पर जो धुंआ हमारे शरीर में जाता है वो धुंआ दिल्ली की हवा में मौजूद है।

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    सिर्फ दिल्ली ही नहीं अन्य राज्यों जैसे पंजाब,हरियाणाराजस्थान में प्रदूषण का स्तर काफी भयावह है। लेकिन प्रदूषण पर रोक लगाने में केन्द्र व राज्य सरकार विफल नजर आ रही है। बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी भी कई बार नाराजगी व्यक्त कर चुका है।

    सिर्फ भारत ही नहीं अन्य कई देश है जो कि प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त है। लेकिन इन देशों ने प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई ऐसे उपाय अपनाए है जो कि काफी हद तक कारगर साबित हुए है। आइए जानते है इन देशों के बारे में –

    चीन

    दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण से चीन ग्रस्त है। चीन में औद्योगिक कारखानों व फैक्ट्रियों की वजह से प्रदूषण काफी ज्यादा है। चीन के बीजिंग सहित कई शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा हो गया था कि कई शहर धुंध में घिर गए थे। इसके बाद चीन ने प्रदूषण से निपटने के खास इंतजाम किए।

    चीन प्रदूषण से निपटने के लिए मल्टी-फंक्शन डस्ट सेप्रेशन ट्रक का इस्तेमाल करता है। इसके ऊपर एक विशाल वॉटर कैनन लगा होता है जिससे 200 फीट ऊपर से पानी का छिड़काव किया जाता है ताकि प्रदूषण की धूल की चादर को हटाया जा सके।

    इसके अलावा चीन ने एंटी स्मॉग पुलिस भी बना रखी है जो प्रदूषण को कम करने का काम करती है। यहां पर कोयले की खपत को भी कम किया गया है।

    चीन के प्रदूषण से निपटने का सबसे ताजा उदाहरण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के चीन दौरे के दौरान देखा गया जब महज एक रात में ही चीन ने अपने तकनीकों व उपायों की बदौलत पेईचिंग शहर से पूरी धुंध हो हटा दिया था।

    पेरिस

    पेरिस में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा रहता है। पेरिस में प्रदूषण को कम करने के लिए ऑड-ईवन तरीका अपनाया। साथ ही पेरिस में एक हफ्ते के अंत में कार चलाने पर पाबंदी लगाई गई। वाहनों को काफी कम गति से चलाने का आदेश दिया गया है।

    दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने भी पेरिस को ध्यान में रखकर यहां पर ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया था। जिसका फायदा दिल्ली में देखने को मिला था। वर्तमान में भी केजरीवाल सरकार ने 13 से 17 नवंबर तक ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने का फैसला लिया है।

    जर्मनी

    जर्मनी सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए निजी वाहनों के उपयोग की जगह सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने पर जोर दिया। इसके तहत जर्मनी ने अपने सड़क नेटवर्क को इस तरह से बनाया कि लोग सार्वजनिक बसों का इस्तेमाल आसानी से कर पाए। साथ ही यहां पर लोगों को आवागमन के लिए मुफ्त सार्वजनिक वाहन व साइकिलें दी गई।

    ऐसा ही भारत सरकार को भी करना चाहिए। इसके लिए यहां की सरकार को सार्वजनिक परिवहन के साधनों का ज्यादा विकास करना चाहिए व आम लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल करने पर जोर देना चाहिए।

    ब्राजील

    ब्राजील के एक शहर क्यूबाटाउ में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि यहां पर अम्लीय बारिश से लोगों का बदन तक जल जाता था। इसका मुख्य कारण उद्योग व कारखानें माने गए। जिसके बाद ब्राजील सरकार ने उद्योगों को चिमनी फिल्टर्स लगाने के आदेश दिए। जिसके बाद करीब 90 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी आ गई थी।

    भारत में भी उद्योगों को ऊंची चिमनी लगाने के आदेश दिए जाने चाहिए। इसकी पालना के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने चाहिए। कारखानों से निकलनी वाली जहरीली गैसों व धुंओं को चिमनियों से काफी हद तक रोका जा सकता है।