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    हॉकी में जब भी सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों की बात होती है तो भारत के पी.आर. श्रीजेश का नाम जरूर लिया जाता है। भारतीय हॉकी को भी उन्होंने कई वर्षो तक अपने कंधे पर अकेले उठाया है। अब हालांकि भारत के पास कुछ युवा गोलकीपर हैं जो श्रीजेश के बाद टीम में देखे जा रहे हैं।

    श्रीजेश को इनसे चुनौती भी मिल रही है, लेकिन श्रीजेश का कहना है कि वह जो अनुभव लेकर आते हैं उससे वह टीम में अपना स्थान पक्का करने और टीम को फायदा पहुंचाने में सक्षम हैं।

    श्रीजेश ने 2006 में राष्ट्रीय टीम में पदार्पण किया था लेकिन उस समय वह कुछ वर्षो तक टीम से अंदर-बाहर होते रहे। 2011-12 से वह टीम के नियमित सदस्यों में रहे और 2016 रियो ओलम्पिक में उन्होंने टीम की कप्तानी भी की।

    यही अनुभव है जो श्रीजेश को अभी भी बेझिझक गोलपोस्ट के सामने खड़ा रखता है। कुछ वर्षो से टीम में उन्हें युवाओं से चुनौतियां जरूर मिल रही हैं लेकिन श्रीजेश कहते हैं कि उनकी प्रतिस्पर्धा किसी और से नहीं है बल्कि अपने आप से हैं।

    प्रोटीन पाउडर मुसासी के लांच के कार्यक्रम में राष्ट्रीय राजधानी में आए श्रीजेश ने आईएएनएस से अपने सामने आने वाली चुनौतियों पर बात की।

    श्रीजेश से जब उनको मिल रही चुनौती के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “जब आप अपनी तुलना किसी से करते हो तो निश्चित तौर पर आप पर दबाव आएगा। वहीं जब आप अपने आप में सुधार करने की कोशिश करते हो तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन जरूरी है कि आप अपनी टीम के लिए किस तरह का प्रदर्शन करते हो। अगर आप नंबर-1 हो लेकिन अपनी टीम के लिए 10 गोल खा जाते हो तो यह बेहद खराब है।”

    टीम के पूर्व कप्तान कहते हैं कि उनके लिए मैदान पर उनका प्रदर्शन मायने रखता है।

    गोलकीपर के मुताबिक, “मेरे लिए जरूरी है कि मैं मैदान पर किस तरह का प्रदर्शन कर रहा हूं और अपने खेल में किस तरह का सुधार कर रहा हूं। जब सूरज और कृष्णा की बात आती है तो यह दोनों अच्छा कर रहे हैं और टीम में आने के लिए लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मेरे लिए अच्छी बात है कि मेरे पास 10-15 साल का अनुभव है जो मुझे टीम में बने रहने और टीम को फायदा पहुंचाने में मदद कर रहा है क्योंकि अगर आप आखिरी के पांच-छह साल देखेंगे तो मेरे अलावा कोई और गोलकीपर नहीं रहा था। तब मैंने अपनी सर्वश्रेष्ठ हॉकी खेली।”

    उन्होंने कहा, “मैं मैदान पर जब भी उतरा तो मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की। मैं मैदान पर जब भी रहता हूं तो मेरी प्रतिस्पर्धा अपने से होती है किसी और से नहीं।”

    श्रीजेश ने कहा कि अनुभव ही आने वाले गोलकीपरों को मजबूत करेगा और उन्हें टीम में बनाए रखने में मदद करेगा।

    श्रीजेश ने युवा गोलकीपरों को लेकर रहा, “कृष्णा, सूर्या सभी राष्ट्रीय टीम में आने के लिए बेहद कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह लोग जूनियर विश्व कर जीतने वाली टीम का हिस्सा रह चुके हैं और वहां से वह राष्ट्रीय टीम में आए। लेकिन गोलकीपर के लिए सबसे अहम है अनुभव है, इसलिए हम क्वार्टर टाइम में गोलकीपर बदलते रहते हैं। पूरे टूर्नामेंट में हमारी कोशिश होती है कि हम युवा गोलकीपरों को ज्यादा से ज्यादा अनुभव दे सकें ताकि उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जा सके।”

    भारत ने हाल ही में एफआईएच क्वालीफायर में रूस के हरा टोक्यो ओलम्पिक-2020 के लिए क्वालीफाई किया है।

    श्रीजेश का मानना है कि ओलम्पिक तक की राह आसान नहीं रहने वाली हैं और टीम को अभी और मुश्किल परिस्थितियों में से गुजरना है।

    उन्होंने कहा, “ओलम्पिक की राह आसान नहीं होने वाली है क्योंकि आप यह खेल जगत के सबसे बड़ा टूर्नामेंट के लिए तैयार करने वाले हो। यह निश्चित तौर पर मुश्किल होने वाला है। ओलम्पिक से पहले हम प्रो लीग खेलेंगे और मुझे आशा है कि कुछ टेस्ट सीरीज भी। ओलम्पिक तक यह लंबी और मुश्किल राह होने वाली है।”

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