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    भारत में बुलेट ट्रेन

    गुरूवार, 14 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने गुजरात के अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी। समय से पूर्व शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है। अहमदाबाद को मुंबई से जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना देश की पहली हाई स्पीड रेल नेटवर्क परियोजना है। बुलेट ट्रेन परियोजना के शुरू होने के बाद अहमदाबाद से मुंबई की दूरी को तय करने में लगने वाला समय काफी घट जाएगा। जापान इस परियोजना में भारत की आर्थिक और तकनीकी मदद कर रहा है। पूरी परियोजना पर खर्च होने वाली राशि का 81 फीसदी खर्च जापान उठाएगा जबकि शेष 19 फीसदी खर्च भारत सरकार उठाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की नींव ऐसे समय में रखी है जब चन्द महीनों बाद ही गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

    व्यापारी वर्ग को खुश करने की कोशिश

    गुजरात की गिनती देश के सबसे समृद्धशाली राज्यों में होती है। यहाँ के मतदाताओं में बड़ा जनाधार व्यापारी वर्ग का है। देश का व्यापारी वर्ग मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से खफा चल रहा है। नोटबंदी का व्यापक तौर पर असर छोटे कारोबारियों और आम आदमी पर हुआ था और इसके बाद जीएसटी ने छोटे और मझोले व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी। गुजरात एक व्यापार समृद्ध राज्य है और देशभर में जीएसटी का सबसे ज्यादा विरोध यहीं हुआ था। सूरत में कपड़ा व्यवसायियों के आन्दोलन ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थी और कांग्रेस नेताओं ने इस दौरान भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की पूरी कोशिश की थी। पिछले 15-20 सालों में यह पहली बार था जब भाजपा सरकार के खिलाफ गुजरात में इतने बड़े पैमाने पर कोई प्रदर्शन हुआ हो।

    नरेंद्र मोदी का शुरुआत से ही व्यापारी वर्ग से अच्छा रिश्ता रहा है। इसी वजह से उनकी उम्मीदवारी को व्यापारी वर्ग का बड़ा समर्थन मिला था। देश के दो बड़े उद्योगपतियों मुकेश अम्बानी और गौतम अडानी से उनके रिश्ते जगजाहिर हैं। यही वजह है कि उन्हें “उद्योगपतियों का प्रधानमंत्री” और मोदी सरकार को “सूट-बूट की सरकार” कहा जाता है। यह बात तो स्पष्ट है कि बुलेट ट्रेन का प्रत्यक्ष लाभ देश के आम आदमी को नहीं मिलने वाला है। बुलेट ट्रेन परियोजना से देश को दो बड़े औद्योगिक शहरों को जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापारी वर्ग को खुश करने का काम किया है। इस परियोजना का लाभ राजधानी, दुरंतो, शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों में सफर करने वाले वर्ग को होगा। आज भी देश के करोड़ों लोग ट्रेनों में सामान्य श्रेणी में यात्रा करते हैं और उनके लिए बुलेट ट्रेन में यात्रा करना अभी एक ख्वाब ही रहेगा।

    गुजरात में घटती भाजपा की लोकप्रियता

    पिछले कुछ वक्त से गुजरात में भाजपा की लोकप्रियता में लगातार गिरावट आई है। जब से नरेंद्र मोदी ने गुजरात की सत्ता छोड़कर केंद्र की गद्दी संभाली है राज्य में भाजपा की लोकप्रियता लगातार घटी है। भाजपा पिछले 19 वर्षों से गुजरात में सत्ता पर काबिज है। बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात देश का सबसे समृद्ध राज्य था और भाजपा ने इस दौरान प्रदेश में जनता के बीच अच्छी पैठ बना ली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दाहिने हाथ माने जाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी गुजरात की राजनीति से निकलकर अब राज्यसभा पहुँच चुके हैं। बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके कार्यकाल में भाजपा ने देशभर में सफलता के नए झंडे गाड़े हैं लेकिन उनके गृहराज्य गुजरात में भाजपा की पकड़ ढ़ीली होती जा रही है।

    भाजपा को इस बात का अंदाजा हो गया था कि गुजरात में उसकी लोकप्रियता घट रही है। इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखते वक्त इतने भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ रोड शो भी किया और राज्य के मतदाताओं को एक मजबूत सन्देश दिया। जापानी प्रधानमंत्री के साथ रोड शो से नरेंद्र मोदी विकास के मुद्दे को एकबार फिर हवा दे सकते हैं। नरेंद्र मोदी के बाद मुख्यमंत्री बनी आनंदीबेन पटेल बहुत लोकप्रिय नहीं रही थी और वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की लोकप्रियता भी कुछ खास नहीं है। दरअसल नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान गुजरात में बस अमित शाह ही ऐसे नेता थे जिनकी बड़े स्तर पर लोकप्रियता हो। उनके दिल्ली चले जाने के बाद यह जगह भी खाली हो गई है और भाजपा जातिगत समीकरण बनाकर इसे भरने की ताक में है।

    निशाने पर हैं गुजरात विधानसभा चुनाव

    बुलेट ट्रेन परियोजना से भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा इस वर्ष गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों में मिलेगा। भाजपा इस परियोजना से अभी तक नाराज चल रहे व्यापारी वर्ग को मनाने की फिराक में है। समय से पूर्व इस परियोजना की शुरुआत भाजपा की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने के लिए वर्ष 2022 का लक्ष्य रखा है। मतलब स्पष्ट है कि भाजपा बुलेट ट्रेन परियोजना से गुजरात के 2017 के विधानसभा चुनाव ही नहीं वरन 2022 के विधानसभा चुनावों को भी साधेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार अपने भाषणों में इस परियोजना से रोजगार के अवसर पैदा होने की बात कर चुके हैं। वह बुलेट ट्रेन परियोजना को विकास और रोजगार से जोड़कर अहम चुनावी मुद्दा बना सकते हैं।

    लोकसभा चुनावों पर भी नजर

    प्रधानमंत्री बनने के बाद ही मोदी सरकार के पहले रेल बजट में बुलेट ट्रेन का जिक्र किया गया था। उसके बाद कुछ वक्त के लिए इसकी चर्चा ठंडी पड़ गई थी। विपक्षी दल मोदी सरकार पर तंज कसने लगे थे कि प्रधानमंत्री मोदी की बुलेट ट्रेन केवल खयालों और कागजों में ही दौड़ती है। लेकिन परियोजना की नींव रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना केवल विरोधियों और आलोचकों का मुँह बंद कर दिया बल्कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए भी अपनी जमीन तैयार कर ली। लोकसभा चुनाव 2019 में होने प्रस्तावित है और उस वक्त तक बुलेट ट्रेन परियोजना का काम रफ्तार पकड़ चुका होगा। अगर भाजपा 2019 में भी सत्ता में आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 के लोकसभा चुनावों में भी भारत में बुलेट ट्रेन की शुरुआत को अहम चुनावी मुद्दा बनाएंगे।

    चर्चित रही मोदी की मस्जिद यात्रा

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता की रही है। 2014 में लोकसभा चुनावों के प्रचार के वक्त खुले मंच पर उन्होंने एक मौलवी से टोपी तक पहनने से इंकार कर दिया था। हालांकि ट्रिपल तलाक जैसे अहम मुद्दे पर अपनी राय रखकर उन्होंने मुस्लिम महिलाओं का दिल जीता और उनके हक की लड़ाई में अंत तक उनका साथ दिया। भाजपा ने ट्रिपल तलाक मुद्दे पर हमेशा ही मुस्लिम महिलाओं का पक्ष लिया था और यही वजह है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को हुआ। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद की प्रसिद्द सिदी सैयद मस्जिद गए थे और इस बात पर बहुत बवाल मचा था। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने इस बाबत नरेंद्र मोदी को चेताते हुए इसे हिन्दुविरोधी कदम करार दिया था।

    हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने नरेंद्र मोदी के इस कदम को भारतीय संस्कृति का अपमान बताया था। विपक्षी दलों ने इस यात्रा को तुष्टीकरण की राजनीति से जोड़कर देखा। यह पहली बार था जब प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी किसी मस्जिद में गए थे। गुजरात में हुए दंगों के बाद नरेंद्र मोदी की छवि मुस्लिम विरोधी नेता की बन गई थी लेकिन अब यह धीरे-धीरे सुधर रही है। गुजरात में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 9 फीसदी है और अगर इनमें से आधों को बी भाजपा अपनी तरफ मिलाने में सफल रहे तो वह विधानसभा चुनावों में एक बड़ी जीत दर्ज कर सकती है।

    गुजरात के साथ-साथ महाराष्ट्र को भी साधा

    बुलेट ट्रेन परियोजना के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के साथ-साथ महाराष्ट्र को भी साधा। बुलेट ट्रेन देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को गुजरात की आर्थिक राजधानी अहमदाबाद से जोड़ेगी। गुजरात में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है और महाराष्ट्र में भी भाजपा सत्ताधारी दल है। गुजरात के सियासी मैदान जीतना भाजपा के लिए उतना मुश्किल नहीं है जितनी उसके लिए महाराष्ट्र में सत्ता वापसी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कार्यकाल मुश्किलों भरा रहा है और भाजपा के शासनकाल में किसानों की लगातार बढ़ रही आत्महत्या गंभीर चिंता का विषय है। इस मसले को लेकर केंद्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना भी लगातार भाजपा सरकार की आलोचना करती रही है वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी भी लगातार महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

    नरेंद्र मोदी ने हाई-स्पीड रेल नेटवर्क अहमदाबाद-मुंबई रुट को चुनकर भाजपा के लिए बेहद अहम इन दोनों राज्यों की राजनीति को एक साथ साधा है। महाराष्ट्र देश की सबसे अधिक नगरीय आबादी वाला राज्य है और अन्य राज्यों के मुकाबले यहाँ प्रति व्यक्ति आय भी अधिक है। महाराष्ट्र में देश का बड़ा समृद्ध वर्ग निवास करता है और अब भाजपा को उद्योगपतियों की पार्टी का तगमा मिल चुका है। बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत से महाराष्ट्र के इस उच्च मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग को सीधा फायदा पहुँचेगा और इस वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए यह कदम उठाया गया है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2019 में प्रस्तावित हैं और ऐसी संभावना बन रही है कि महाराष्ट्र की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना भाजपा से समर्थन वापस ले सकती है। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने बुलेट ट्रेन परियोजना के मध्यम से महाराष्ट्र के बड़े मतदाता वर्ग को लुभाकर आगामी चुनावों के लिए सियासी जमीन तैयार करने का काम किया है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।