Fri. Apr 19th, 2024
    कमर जावेद बाजवा

    हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने ईरान की राजधानी तेहरान का तीन दिवसीय दौरा किया। इस दौरान पाकिस्तान व ईरान के बीच में द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को मजबूत करने व अगले स्तर पर ले जाने पर चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकिया सऊदी अरब को नागवार गुजर रही है।

    सऊदी प्रशासन को पाकिस्तान का ईरान जाना व संबंधों को बढ़ावा देना चिंतित कर रहा है। क्योंकि सऊदी अरब व पाकिस्तान के बीच में पारंपरिक व घनिष्ठ संबंध स्थापित है। सऊदी अरब प्रशासन पाकिस्तानी सेना प्रमुख के ईरान दौरे पर सख्ती से नजर बनाए हुए है।

    इस दौरे को समझा जा रहा है कि पाकिस्तान अब ईरान के साथ मतभेदों को भुलाकर सुलभ प्रयास कर रहा है। वहीं सऊदी अरब के साथ मौजूदा साझेदारी से स्पष्ट कटौती करना चाहता है।

    पाकिस्तान और ईरान में संयुक्त रूप से बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करने के लिए एक समझौता हुआ है, जिसे सऊदी अरब प्रशासन को चिंता में डाल दिया है। तेहरान के अलावा इस्फहान और मोसाद की भी पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने यात्रा की।

    ईरानी राष्ट्रपति व विदेश मंत्री से की मुलाकात

    पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी , विदेश मंत्री जावेद जारिफ व ईरान में अपने समकक्ष मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी से मुलाकात सहित शीर्ष ईरानी नेतृत्व के साथ भी मिले। पाकिस्तानी सेना प्रमुख की ईरान यात्रा को द्विपक्षीय सैन्य और रक्षा संबंधों को बढ़ाने के तौर पर प्रस्तुत किया गया।

    इसके अलावा दोनों देशों ने संयुक्त रक्षा निगरानी, ड्रोनों की निगरानी, खाड़ी और अरब सागरों में संयुक्त समुद्री संचालन, जनवरी से फरवरी 2018 में संयुक्त सैन्य अभ्यास, पाकिस्तान में ईरान के सैन्य अधिकारियों के सहयोग और प्रशिक्षण के लिए मिसाइलों का सहयोग और विकास के मुद्दों पर बातचीत की गई।

    गौरतलब है कि पिछले साल राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान कहा था कि तेहरान चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजना के करीब 60 अरब डॉलर का हिस्सा बनना चाहता है। उस समय पाक के नजरिए की सराहना ईरान ने की थी।

    पाकिस्तान व ईरान के बीच बढ़ते संबंधो का असर सऊदी अरब पर पड़ने की संभावना लग रही है। सऊदी अरब और ईरान दोनों मुस्लिम बहुमत वाले राष्ट्र है। लेकिन फिर भी इन देशों के बीच में तनाव की स्थिति बनी हुई है। सऊदी अरब मध्य पूर्व में बढ़ती ईरानी प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए बेहद सख्त कोशिश कर रहा है।