Fri. Apr 19th, 2024

    नेपाल में मुश्किल में फंसे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बुधवार को संसद में बहुमत खो दिया। महीनों की उठापटक के बाद नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) ने आखिरकार प्रतिनिधि सभा में ओली सरकार से समर्थन वापस लेने की आधिकारिक घोषणा कर दी। इसके बाद अगर ओली इस्तीफा नहीं देंगे तो उनके खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस इस आशय के संकेत पहले ही दे चुकी है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता गणेश शाह के अनुसार सरकार से समर्थन वापस लेने के फैसले की जानकारी देते हुए पार्टी ने संसद सचिवालय को इस आशय का एक पत्र सौंपा।

    उन्होंने कहा कि माओवादी सेंटर के मुख्य सचेतक देव गुरुंग ने संसद सचिवालय में अधिकारियों को पत्र सौंपा। पत्र सौंपने के बाद गुरुंग ने संवाददाताओं को बताया कि पार्टी ने ओली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया, क्योंकि सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि सरकार की हालिया गतिविधियों ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा उत्पन्न किया है।

    समर्थन वापस लेने के बाद ओली सरकार ने प्रतिनिधि सभा में अपना बहुमत खो दिया है। प्रचंड के नेतृत्व वाली पार्टी द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला ऐसे समय आया है जब ओली ने दो दिन पहले घोषणा की थी कि वह 10 मई को संसद में विश्वासमत प्राप्त करेंगे। माओवादी सेंटर के निचले सदन में कुल 49 सांसद हैं। चूंकि सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के कुल 121 सांसद हैं प्रधानमंत्री ओली के पास 275 सदस्यीय सदन में अपनी सरकार बचाने के लिए 15 सांसद कम हैं।

    देव गुरुंग ने बताया कि उनकी पार्टी ने ओली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया क्योंकि सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि ओली सरकार की हालिया गतिविधियों ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर दिया है। समर्थन वापसी के बाद अब ओली सरकार के पास संसद में बहुमत खत्म हो गया है।

    नेपाल में अविश्‍वास प्रस्‍ताव को पारित कराने और बाद में एक सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 138 है। इन सबमें नेपाली कांग्रेस किंगमेकर साबित हो सकती है जिसके 63 सांसद हैं। नेपाली कांग्रेस या तो ओली के पास जा सकती है जिनके पास करीब 80 सांसद हैं या प्रचंड के खेमे को सपोर्ट दे सकती है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *