Fri. Mar 29th, 2024
    नरेंद्र मोदी के साथ रजनीकांत

    पिछले कुछ समय से देश के राजनीतिक पटल पर बिहार छाया हुआ था। सियासी उठापटक और आरोप-प्रत्यारोपों के दौर के बाद महागठबंधन से नाता तोड़कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया और भाजपा का हाथ थाम पुनः मुख्यमंत्री बन गए। जेडीयू-भाजपा गठबंधन वाली नीतीश सरकार ने आज बिहार विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर एक स्थिर सरकार की स्थापना की। कभी नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के नेता के तौर पर दिखाई देने वाले नीतीश मोदी से आ मिले। इससे केंद्र में विपक्ष और कमजोर हो गया है और नीतीश में मोदी का विकल्प तलाश रहे दलों की अपेक्षाएं भी धूमिल हो गईं है। इस पूरे घटनाक्रम में मोदी-शाह की करिश्माई जोड़ी ने महती भूमिका निभाई और मिशन-2019 की राह और आसान कर दी।

    पूरे देश को भगवे रंग में रंगने का मोदी का सपना सच होता दिख रहा है। इस सफर में भाजपा का अगला पड़ाव तमिलनाडु है। तमिलनाडु ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ कोई भी राष्ट्रीय पार्टी अबतक अपने पाँव नहीं जमा सकी है। गैर द्रविड़ पृष्ठभूमि पर आधारित कोई भी दल यहाँ के वोटरों का विश्वास नहीं जीत सका है। राष्ट्रीय पार्टियां यहाँ सहयोगी दल की भूमिका में सीमित रह जाती हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के देश को भगवामय करने के सपने का सच होना यहाँ थोड़ा मुश्किल प्रतीत होता है। पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की करिश्माई जोड़ी अभी तक जहाँ भी हाथ डाला है, सोना ही निकला है। जयललिता की मौत के बाद तमिलनाडु में राजनीतिक हालात स्थिर नहीं है और ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन तमिलनाडु की नींव रख दी है।

    मोदी ने रखी आधारशिला

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मिशन की आधारशिला रखने तमिलनाडु पहुँच गए हैं। वह यहाँ देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के स्मारक का उद्घाटन करने आये हैं। इसके साथ ही वह रामेश्वरम में कई अन्य कार्यक्रमों में भी शरीक होंगे और रामेश्वरम से अयोध्या तक चलने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। असल में मोदी यह हरी झंडी तमिलनाडु में गठबंधन की संभावनाओं को दिखा रहे हैं। जयललिता की मौत के बाद सत्ताधारी दल एआईएडीएमके में दो फाड़ हो गए हैं। एक गुट पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम के साथ है वहीं दूसरा गुट वर्तमान मुख्यमंत्री ई पलनीस्वामी के साथ है। राष्ट्रपति चुनाव में दोनों गुटों ने रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। दोनों ही गुट भाजपा के साथ आना चाहते हैं और भाजपा को इस गुटबाजी का फायदा मिल रहा है। नरेंद्र मोदी एक लोकप्रिय ब्रांड बन चुके हैं और ऐसे में पार्टी को शुरुआती स्तर पर देश में कहीं भी दिक्कत पेश नहीं आती है। आगे जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिए एक मजबूत साथी की जरुरत होती है और तमिलनाडु में भाजपा उस साथी की तलाश में है।

    नरेंद्र मोदी

     

    एआईएडीएमके को एकजुट करने की कोशिश में भाजपा

    जयललिता की मौत और शशिकला के जेल जाने के बाद से एआईएडीएमके में फूट पड़ गई। एआईएडीएमके दो धड़ों में विभाजित हो गया। एक धड़े का नेतृत्व वर्तमान मुख्यमंत्री ई पलनीस्वामी कर रहे हैं वहीँ दूसरे धड़े का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम कर रहे हैं। दोनों धड़े अभी तक भाजपा के सहयोगी के रूप में नजर आये हैं और राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। इन्होंने राष्ट्रपति चुनावों में भी भाजपा उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के पक्ष में वोट किया था। भाजपा इनका आपसी मनमुटाव मिटाकर इन्हें एक करना चाहती है और फिर इनके साथ गठबंधन करना चाहती है। मुक्तरूप से दोनों गुट आज ही भाजपा से जुड़ने को तैयार हैं पर भाजपा तमिलनाडु में कांग्रेस और डीएमके के गठबंधन के खिलाफ कोई कमजोर कदम नहीं उठाना चाहती। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव को यहाँ जिम्मेदारी सौंपी गई है। वन्नियार जाति में अपना आधार रखने वाली पार्टी पीएमके ने भाजपा के साथ मिलकर 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और उसके भाजपा के साथ रहने की ही संभावना है। भाजपा ऐसा गठबंधन चाहती है जो पार्टी मशीनरी को मजबूती दे और आगामी चुनावों में पार्टी को सत्ता की कुर्सी तक पहुँचा दे।

    पलनीस्वामी और पनीरसेल्वम

     

    रजनीकांत अदा कर सकते हैं बड़ी भूमिका

    सुपरस्टार रजनीकांत द्वारा पिछले काफी दिनों से किसी नई पार्टी के गठन को लेकर संकेत मिल रहे हैं। दक्षिण में अभिनेताओं का राजनीतिक लगाव कोई नयी बात नहीं है। पहले भी कई अभिनेता यह रास्ता अपना कर सत्ता तक पहुँच चुके है फिर चाहे वो रामाराव हो या जयललिता। तेलुगु सुपरस्टार चिरंजीवी ने भी अपनी पार्टी बनाई पर वह सत्ता की कुर्सी तक पहुँचाने में नाकाम रहे। तमिलनाडु में रजनीकांत की बड़ी लोकप्रियता है और हर मुश्किल घड़े में रजनीकांत लोगों के साथ खड़े नजर आये हैं। यही वजह है की लोग उन्हें भगवन की तरह पूजते है। ऐसे हालातों में अगर रजनीकांत नई पार्टी का गठन करते है तो निश्चित रूप से उन्हें अपार जनसमर्थन मिलेगा। रजनीकांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक रहे हैं और कई मौकों पर मोदी के साथ खड़े नजर आये हैं। मुमकिन है भाजपा ने ही रजनीकांत के सत्ता प्राप्ति की आकांक्षाओं को पर दिए हो। ऐसे में भाजपा-रजनी-एआईएडीएमके-पीएमके गठबंधन तमिलनाडु की राजनीति का कायापलट कर सकता है।

    रजनीकांत

     

    असर डालेगा भाजपा का ‘साउथ कार्ड’

    उपराष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया नायडू के नाम की घोषणा से ही स्पष्ट हो गया था कि भाजपा ‘साउथ बेल्ट’ पर अपना ध्यान लगाना चाहती है। नायडू जमीन से जुड़े नेता हैं और बड़े ही साधारण परिवार से आते हैं। इन्होंने किसानों, मजदूरों और गरीब वर्ग के हित में बहुत से काम किये हैं और इसी वजह से वे बड़े लोकप्रिय भी हैं। उपराष्ट्रपति जैसे गरिमामयी पद के लिए वे दक्षिण के प्रतिनिधि के तौर पर चुने गए हैं। तमिलनाडु में उनकी बिरादरी के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि नायडू की उम्मीदवारी तमिलनाडु के गणित पर निश्चित रूप से असर डालेगी।

    वेंकैया नायडू

     

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।