Wed. Apr 24th, 2024
    अमित शाह

    आज का दिन भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ऐतिहासिक दिन है। आज सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की पीठ ने ‘ट्रिपल तलाक’ को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए इस पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सदियों से चली आ रही यह कुप्रथा अब ख़त्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने के अंदर केंद्र सरकार से ‘ट्रिपल तलाक’ के खिलाफ कानून बनाने को कहा है। इस फैसले के बाद देश की मुस्लिम बिरादरी की महिलाओं में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। जगह-जगह जश्न मनाये गए और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ‘ट्रिपल तलाक’ मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए नए युग की शुरुआत है। अमित शाह ने कहा कि यह फैसला ‘न्यू इंडिया’ की ओर बढ़ता हुआ एक कदम है।

    कुछ ऐसी रही शाह की प्रतिक्रिया

    अमित शाह ने ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद तुरंत प्रतिक्रिया जाहिर की। शाह ने लिखा – “सर्वोच्च अदालत द्वारा तीन तलाक के मुद्दे पर लिए गए ऐतिहासिक फैसले का मई स्वागत करता हूँ। यह फैसला किसी की जय या पराजय का नहीं है। यह मुस्लिम महिलाओं के समानता के अधिकार और मूलभूत संवैधानिक अधिकार की विजय है। संसार के बहुत सारे देशों में भी ट्रिपल तलाक का कानून अस्तित्व में नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने ट्रिपल तलाक को गैर संवैधानिक घोषित कर देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को समानता एवं आत्मसम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया है। मई अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही सभी पीड़ित महिलाओं के हक़ में आये इस फैसले का स्वागत करता हूँ और उनका अभिनन्दन करता हूँ।”

    आगे अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को मुस्लिम महिलाओं के पक्ष को विवेकपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीके से सर्वोच्च अदालत के सामने रखने के लिए धन्यवाद देता हूँ। आज से देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान पूर्ण एवं समानता के एक नए युग की शुरुआत हुई है। पार्टी मुस्लिम महिलाओं को मिले उनके अधिकारों एवं सम्मान का स्वागत करती है तथा इसे ‘संकल्पवान’ न्यू इंडिया की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखती है।

    क्या है ट्रिपल तलाक

    ट्रिपल तलाक़ इस्लाम में प्रचलित तलाक़ की एक ऐसी प्रथा है जिसके जरिये पति सिर्फ तीन बार तलाक़ कहकर अपनी पत्नी को तलाक़ दे सकता है। इस प्रथा में पति को तलाक़ का कारण बताने की भी जरूरत नहीं होती है। पति तलाक़ की घोषणा लिखकर, बोलकर या और किसी और माध्यम से भी कर सकता है। आज के दौर में तो फोन पर मैसेज करके भी मुस्लिम पत्नी को तलाक़ दिया जा सकता है।

    ट्रिपल तलाक़
    ट्रिपल तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।