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    छोटा परिवार

    विस्फोटक रूप से जनसंख्या वृद्धि की मार झेल रहे देश के लिए एक अच्छी खबर सामने आयी है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब छोटे परिवार होने के चलते देश अब आर्थिक दृष्टि से तेज विकास करेगा।

    रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1971 की तुलना में 2016 तक देश में औसत परिवार के आकार में बड़ा फर्क आया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1971 में भारत के प्रत्येक परिवार में औसत रूप से 2.3 बच्चे थे, वहीं वर्ष 2016 में यह संख्या घटकर हर परिवार में औसत 2.3 बच्चों पर आ गयी है।

    रिपोर्ट के अनुसार भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में इसी तरह का विकास हुआ है। 1980 व 1990 की तुलना करने पर वर्ष 2016 में चीन के परिवारों में औसत सदस्यों की संख्या में ग़जब का नियंत्रण देखने को मिला है।

    वहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस विकास के पीछे सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक नीतियों का भी बहुत बड़ा हाथ है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत जैसे देश में इस तरह का सकारात्मक परिणाम स्वास्थ सेवाओं के विस्तार, आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन व शिक्षा पर अधिक से अधिक ज़ोर देने के बाद आया है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमित परिवार के बल पर ही हम जनसंख्या विस्फोट को रोक सकते हैं, इसी के साथ ऐसे में कोई भी देश अपने संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल कर सकता है। सीमित परिवार देश को उत्पादन के क्षेत्र में भी आगे ले जाएंगे।

    रिपोर्ट में मातृ शिक्षा पर ज़ोर देते हुए कहा गया है कि महिलाओं को शिक्षित व जागरूक करने से भी सीमित परिवार को बढ़ावा मिलता है। यही कारण है कि जैसे-जैसे महिलाएँ शिक्षित होती जा रहीं है वैसे ही देश में परिवारों का आकार भी छोटा होता जा रहा है।

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