Tue. Apr 23rd, 2024
    भारत और चीन

    चीन ने शुक्रवार को कहा कि “परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश के बाबत कोई चर्चा नहीं की जाएगी। इस समूह में गैर सदस्य देशों की भागीदारी पर एक विशिष्ट योजना पर पहुंचने से पूर्व यह बयान दिया गया है। चीन ने अन्य सदस्य को इसके बाबत समयसीमा देने से इंकार कर दिया था।”

    भारत ने एनएसजी की सदस्यता के लिए मई 2016 में आवेदन किया था। चीन के मुताबिक, इस समूह में प्रवेश सिर्फ उन देशों को दिया जायेगा जो देश परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करेंगे। एनएसजी में कुल 48 सदस्य देश है जो वैश्विक परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रण करते हैं।

    भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। भारत के बाद पाकिस्तान ने भी साल 2016 में सदस्यता के लिए आवेदन किया था। एनएसजी की बैठक 20-21 जून को कजाखस्तान के अस्ताना में होगी और इस दौरान भारत के प्रति चीन के रवैये में परिवर्तन के बाबत चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि “समूह इसमें उन देशों के प्रवेश के बाबत कोई चर्चा नहीं करेगा जिसने अप्रसार संधि पर हस्ताक्षार नहीं किये हैं।”

    उन्होंने कहा कि “इसलिए भारत की सदस्यता पर कोई चर्चा नहीं की जाएगी। बीजिंग नयी दिल्ली के प्रवेश को नहीं रोक रहा है और बीजिंग का मत है कि एनएसजी के नियमो और कायदो का पालन होना ही चाहिए। किसी के लिए भी मार्ग अवरोध नहीं किया जा रहा है।”

    उन्होंने कहा कि “जैसा कि मैं जानता हूँ कि प्लेनरी बैठक का आयोजन हुआ था और गैर एनपीटी पक्षों की भागीदारी और कानूनी मामलो पर चर्चा हुई थी। किसी भी विशिष्ट योजना पर पहुंचने से पूर्व एनएसजी एनपीटी गैर सदस्यों की भागीदारी पर चर्चा नहीं करेगा। इसलिए भारत की भागीदारी पर कोई चर्चा नहीं होगी।”

    लू कांग ने कहा कि “भारत या किसी अन्य देश की भागीदारी एनएसजी का आंतरिक मामला है और हम इसका नियमों के साथ पालन करेंगे। योजना के लिए अभी अधिक चर्चा की जरुरत है और हम एक वर्ष, दो वर्ष या किसी सीमित समयसीमा में आम राय पर नहीं पहुंच सकते हैं लेकिन निर्णय आम सहमति पर ही आधारित होगा।”

    परमाणु अप्रसार मामले पर भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के बाबत कांग ने कहा कि “इस पर मेरे पास कोई विशिष्ट जवाब नहीं है। मैं आपके लिए अधिक जानकारी देख सकता हूँ। चीन की स्थिति किसी विशेष देश को निशाना बनाने के लिए नहीं है बल्कि वह एनएसजी के नियमों और कायदो पर आधारित है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *