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    खड़गे या थरूर जो जीते, लेकिन कांग्रेस को फायदा

    खड़गे या थरूर…. कौन होगा कांग्रेस (INC) का नया अध्यक्ष? आखिरकार वह दिन आ ही गया जब लगभग ढाई दशक के बाद देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गांधी परिवार से इतर किसी अन्य व्यक्ति को पार्टी-अध्यक्ष बनाने के लिए मतदान कर रही है।

    खड़गे Vs थरूर: कौन होगा ग्रैंड ओल्ड पार्टी का किंग?

    कांग्रेस के भीतर जब से अध्यक्ष पद के लिए जब से चुनावी घोषणा हुई, एक नाम शशि थरूर (Shashi Tharoor) का तो फिक्स था लेकिन अन्य दूसरे नामों के लिए बड़ी चर्चा हुई। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से लेकर कमलनाथ, मनीष तिवारी आदि कई नाम सामने आए।

    अंततः थरूर के सामने अध्यक्ष पद के दूसरे दावेदार के रूप में कर्नाटक से आने वाले वरिष्ठ नेता व राज्यसभा में विपक्ष के नेता (अब पूर्व नेता) मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का नाम आया।

    बताया जाता है कि खड़गे को गांधी परिवार खासकर सोनिया गांधी का समर्थन प्राप्त है जिसका स्पष्ट मतलब निकाला जा रहा है कि खड़गे ही नए अध्यक्ष बनेंगे। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ताओं और गांधी परिवार ने स्पष्ट तौर पर किसी को समर्थन देने की बात से इनकार किया है।

    शशि थरूर ने पहले ही एक बयान में कहा है कि खड़गे को वरिष्ठ सदस्यों का समर्थन प्राप्त है लेकिन पार्टी के युवावर्ग का समर्थन उनके साथ ही है। सोशल मीडिया से लेकर पार्टी के राज्य इकाइयों में जा-जा कर थरूर एक ऐसा ने माहौल तो जरूर तैयार किया है कि जहाँ मुक़ाबला खड़गे के पक्ष में एकतरफा होने की बात की जा रही थी, अब खड़गे को वह “केक-वॉक” वाली जीत नहीं मिलने वाली है।

    दोनों ही उम्मीदवारों ने अपनी अपनी जीत के लिए आखिरी के 10-12 दिनों में जी-जान झोंक कर प्रचार प्रसार किया है। सोशल मीडिया प्रचार, मल्टीमीडिया कैम्पेन, प्रेस कांफ्रेंस, साक्षात्कार आदि के जरिये पार्टी के भीतर 9850 मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए अपील की है।

    कुल मिलाकर एक तरफ़ आत्मविश्वास और वृहत राजनीतिक अनुभव वाले मल्लिकार्जुन खड़गे हैं तो दूसरी तरफ बदलाव, युवा-सोच और जोश से ओत प्रोत शशि थरूर हैं। दक्षिण भारत से ताल्लुक रखने वाले दोनों ही उम्मीदवारों के बीच मुक़ाबला दिलचस्प है।

    दिन भर आती रही मतदान की तस्वीरें

    कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर न सिर्फ पार्टी के भीतर बल्कि बाहर भी उत्साह देखा जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर टेलीविजन मीडिया और प्रिंट मीडिया में लगातार कांग्रेस के नेताओं की तस्वीरें मतदान करते हुए साझा किए गए।

    आज सुबह सबसे पहला वोट पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिंदम्बरम ने डाला। उसके बाद तमाम बड़े छोटे नेताओं ने मतदान की तस्वीरें साझा किए।

    भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त राहुल गांधी ने भी आज यात्रा के दौरान ही एक कंटेनर में बने स्पेशल मतदान केंद्र पर अपना वोट दिया। राहुल गांधी वोट देने के लिए कंटेनर के बाहर अपनी बारी का इन्तेजार करते हुए लाइन में भी खड़े दिखे।

    खड़गे या थरूर: राहुल गांधी वोट देने के लिए कंटेनर के बाहर अपनी बारी का इन्तेजार करते हुए
    राहुल गांधी वोट देने के लिए कंटेनर के बाहर अपनी बारी का इन्तेजार करते हुए (Image Source: Twitter/ @INCIndia)

    सोनिया और प्रियंका गांधी ने भी मतदान किया। उसके पूर्व मीडिया के आग्रह पर वर्तमान अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कहा कि वह इस दिन का इन्तेजार कर रही थीं।

    सोनिया और प्रियंका गांधी ने भी किया मतदान ।
    कांग्रेसअध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने भी किया मतदान। (Image Source: Twitter/ @INCIndia)

    खड़गे या थरूर जो जीते, लेकिन कांग्रेस को फायदा

    बीते कुछ महीनों में कांग्रेस ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जिस से पार्टी में एक नई उर्जा महसूस की जा सकती है। चाहे वह जयराम रमेश को IT/मीडिया की कमान सौंपने की बात हो या भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से जमीनी हकीकत से पार्टी को जोड़ने की कोशिश हो या फिर गांधी परिवार से इतर कोई अन्य व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष बनाने की कवायद।

    आज जब ज्यादातर पार्टियां “सर्वसम्मति वाले फॉर्मूले” से अपना अध्यक्ष चुन लें रही हैं वही कांग्रेस ने ढाई दशक बाद आंतरिक मतदान के जरिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया से अध्यक्ष चुनने का प्रयास किया है।

    चुनाव आयोग भी राजनीतिक दलों से यही अपेक्षा रखती है कि सभी राजनीतिक दल पार्टी के भीतर भी लोकतांत्रिक प्रणाली से ही अध्यक्ष तय करें लेकिन आयोग की अपेक्षा की उपेक्षा लगभग हाफ राजनीतिक दल करती है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा यह कदम बाकि के तमाम दलों पर एक मनोवैज्ञानिक व राजनीतिक दवाब बना सकती है।

    दूसरा पार्टी के भीतर और बाहर दोनों तरफ उठने वाली गैर-गांधी अध्यक्ष को लेकर परिवार वाद के आरोपों से निकलने में भी मदद मिलेगी। यह अलहदा बात है कि विपक्षी दल अभी से ही मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत की संभावना के मद्देनजर उन पर गांधी परिवार का रबर स्टाम्प होने का आरोप लगा रही है।

    बहरहाल, कौन होगा अध्यक्ष इसका फैसला आगामी 2 दिनों के भीतर स्पष्ट हो जाएगा लेकिन निश्चित ही यह कदम पार्टी को एक नई दिशा दे सकती है।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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