Sat. Apr 20th, 2024
    संयुक्त अरब अमीरात सऊदी अरब

    संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा कि सऊदी अरब के साथ मिलकर एक नए आर्थिक साझेदारी समूह का गठन किया गया है। इस समूह को गल्फ कॉपरेशन काउंसिल (खाड़ी सहयोग परिषद) से अलग होकर बनाया जा रहा है। खाड़ी सहयोग परिषद से अलग नया आर्थिक साझेदारी समूह का गठन करना सदस्य देश कतर संकट के बीच परिषद को कमजोर करने वाला माना जा रहा है।

    इस फैसले के बाद दो दिन का खाड़ी सहयोग परिषद् (जीसीसी) शुरू होते ही ख़तम हो गया। इस सम्मलेन में सऊदी अरब, युएई और बहरीन ने अपने मंत्रिमंडल को भेजा था। सऊदी अरब और यूएई के इस फैसले के बाद बाकी के खाड़ी देशों में शंका का माहौल बन गया है।ऐसे में यह भी आशा जताई जा रही है कि बाकी के खाड़ी देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

    वहीं सऊदी अरब ने इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है। वर्तमान में कतर पर संकट मंडरा रहा है। कतर संकट को लेकर खाड़ी सहयोग परिषद की बैठक आयोजित की गई थी।

    इस परिषद के आधे सदस्य कतर का विरोध कर रहे है जिसने अरब प्रायद्वीप को हटा दिया गया है। ऐसे में अब परिषद से हटकर संयुक्त अरब अमीरात व सऊदी अरब ने नया संगठन बना लिया है।

    दोनों देशों के बीच है घनिष्ठ संबंध

    अमीरात मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देशों के हित के लिए सभी सैन्य, राजनीतिक, आर्थिक, व्यापार और सांस्कृतिक क्षेत्रों से संबंधित कार्य को बढ़ाने का काम नई समिति को सौंपा गया है।

    गौरतलब है कि हाल के वर्षों में संयुक्त अरब अमीरात व सऊदी अरब के बीच में घनिष्ठ संबंध देखे गए थे। यमन में सऊदी के नेतृत्व वाले युद्ध में संयुक्त अरब अमीरात के सैनिक भी शामिल होते है।

    वहीं दोनों देशों के शासक के बीच में निकटतम संबंध भी स्थापित है। इस नए संगठन में अन्य खाड़ी अरब देशों के शामिल होने की संभावना के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।

    गल्फ कॉपरेशन काउंसिल (खाड़ी सहयोग परिषद) क्या है?

    खाड़ी सहयोग परिषद अरब की खाड़ी से घिरे कुछ देशों का क्षेत्रीय समूह है। इसके सदस्य देशों में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। इस परिषद का मुख्यालय सऊदी अरब स्थित रियाद में है।

    यह एक ऐसा मंच है जहां पर सदस्य देशों के बीच में सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, आर्थिक व सामाजिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा सदस्य देशों में समान तंत्र विकसित करते हुए आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है।