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    पाकिस्तानी कार्यकर्ता

    पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के एक राजनीतिक कार्यकर्ता ने पाकिस्तान की पोल खोली है और बताया कि जम्मू कश्मीर में दशको से अशांति फ़ैलाने के लिए पाकिस्तान आतंकवाद का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के नेता सरदार साघीर ने दावा किया कि पाकिस्तान घाटी में अशांति फैलाने के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहा है।

    साघीर ने कहा कि “साल 1947 में इस इलाके में पश्तून आदिवासी सेना भेजकर कश्मीर की आजादी के स्वदेशी आंदोलन को तोड़ दिया गया। साल 1980 के दशक के अंत में जब एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों ने एक और अभियान शुरू किया तब पाकिस्तान ने 1989 में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन और जमात उद दावा का गठन करके उसे हाईजैक कर लिया।”

    उन्होंने आगे कहा कि “इसके बाद में हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उ-दावा अस्तित्व में आये जिन्हें  पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों द्वारा भेजा गया था। इन्होंने हमारे शांतिपूर्ण चल रहे संघर्ष को नुकसान पहुंचाया। अब इसे विश्व समुदाय आतंक के कार्य के रूप में देख रहा है।”

    साघीर को पीओके के मुखर कार्यकर्ता के तौर पर देखा जाता है। इस इलाके में लोग उत्पीड़न और आतंकवाद से परेशान हैं। साघीर ने बताया कि “9/11 के हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ कुछ कदम उठाए गए लेकिन हमारे शांतिपूर्ण संघर्ष को पीछे छोड़ दिया गया। हालांकि, हमने विरोध करना जारी रखा। जब पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दबाव बनाया तो लश्कर-ए-तैयबा को छोड़ उसने मौलाना मसूद अजहर के जैश-ए-मोहम्मद का प्रचार करना शुरू कर दिया था।”

    कार्यकर्ता ने कहा कि “अब जैश के आतंकियों को बड़े पैमाने पर भारत में घुसपैठ के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। दुनिया का ध्यान इस वक्त कश्मीर घाटी पर है, लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी यहां से जानबूझकर ध्यान हटा रही हैं। इन आतंकियों को घुसपैठ के लिए तैयार किया जाता है और फिर मारा जाता है और भविष्य में भी मारा जाएगा।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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