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    ओला

    ओला भारत की सबसे बड़ी कैब सेवा कंपनी है। कंपनी अब चाहती है कि गाड़ियों को पूरी तरह से विद्युत ऊर्जा से चलाया जाए।

    कंपनी का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन के आगमन से ड्राईवर और ग्राहक को तो फायदा होगा ही, साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

    इसी सन्दर्भ में ओला नें नए मिशन की घोषणा की है, जिसके मुताबिक कंपनी साल 2021 तक देश में 10 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ चलाएगी।

    जाहिर है पिछले साल ओला नें महिंद्रा और महिंद्रा के साथ मिलकर नागपुर में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की एक मुहीम की शुरुआत की थी। कंपनी अब इसे पुरे देश में फैलाना चाहती है।

    कंपनी नें इसके अलावा यह भी घोषणा की है कि वह अगले 12 महीनों में 10,000 से ज्यादा ई-रिक्शा और ऑटो रिक्शा को रोड पर लाएगी।

    बैंगलोर स्थित कंपनी भारत की अन्य गाड़ी कंपनियों को भी जल्द से जल्द इलेक्ट्रिक वाहन लाने को कह रही है। इसी बारे में अब ओला का कहना है कि वह बड़े शहरों के बाद अब छोटे शहरों में भी इलेक्ट्रिक वाहन लाएगी।

    ओला का यह दावा है कि इलेक्ट्रिक वाहन ड्राईवर और ग्राहक के लिए यात्रा बहुत सुविधाजनक बना देगी। इसके अलावा कंपनी का मानना है कि ऐसा होने से ओला का बिजनेस मॉडल भी सुधर जाएगा।

    इस सपने को पूरा करने के लिए कंपनी का कहना है कि वह विभिन्न शहरों में गाड़ी बनाने वाले, बैटरी बनाने वाले और अन्य तकनीकी कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगी।

    यह भी कहा जा रहा है कि ओला कई राज्यों की सरकारों से बात कर रही है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रचलन में तेजी लायी जा सके।

    हाल ही में ओला नें नागपुर में इलेक्ट्रिक वाहन के एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इस प्रोजेक्ट का शुभारम्भ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया था।

    इस प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रिक कैब, इलेक्ट्रिक ऑटो-रिक्शा, इलेक्ट्रिक बस, छतों पर सौर पैनल, चार्जिंग स्टेशन आदि शामिल थे।

    इस बारे में ओला के मालिक और मुख्य अधिकारी भविष अग्रवाल का कहना है:

    “पुरे देश में 40 लाख इलेक्ट्रिक किमी सफ़र करने के बाद अब हम भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रचलन के अपने विचार को फैला रहे हैं। ओला इस कार्य में सबसे आगे रहेगा और इसके लिए वह विभिन्न राज्यों की सरकारों और अन्य विशेष अधिकारीयों के साथ मिलकर काम करेगा।”

    भविष के मुताबिक ति-पहिया वाहन जैसे रिक्शा आदि आवागमन के बहुत जरूरी साधन हैं और इससे लाखों लोगों का घर चलता है।

    ऐसे में भविष ऑटो-रिक्शा को भी उतना ही महत्व देते हैं, जितना गाड़ियों को।

    इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचलन

    पुरे विश्व में प्रदुषण को दूर करने के लिए कई कंपनियों नें इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की शुरुआत की है। अमेरिका की टेस्ला नें इसमें अहम् भागीदारी दी है।

    ऐसे में अब भारत सरकार और यहाँ की कंपनियों को भी इसकी जरूरत का महत्व समझ में आने लगा है। भारत की विभिन्न कंपनियों जैसे टाटा, महिंद्रा, मारुती आदि नें इस क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया है।

    भारत सरकार नें कहा था कि साल 2030 तक भारत में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन चलाये जायेंगे। सरकार नें इस विषय में काम करना शुरू कर दिया है।

    केन्द्रीय मंत्री गडकरी नें एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि उन्होंने भारत की कई कंपनियों को कहा है कि वे जल्द से जल्द इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम करना शुरू कर दें।

    इसके लिए अब कैब कंपनियों नें भी काम करना शुरू कर दिया है। अमेरिका कैब कंपनी उबेर नें पहले ही इसकी घोषणा कर दी है।

    पब्लिक वाहनों का दौर

    कई रिपोर्टों के मुताबिक भारत सरकार जापान की कंपनी सॉफ्टबैंक के साथ डील करने जा रही है, जिसमे सॉफ्टबैंक भारत में करीबन 2 लाख इलेक्ट्रिक बसों को बनाने के लिए कम मुनाफे पर लोन देगा।

    इस योजना में महाराष्ट्र में काम शुरू हो चुका है और पिछले साल ही राज्य की सरकार नें पब्लिक इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत कर दी थी।

    सॉफ्टबैंक के मालिक मासायोशी सोन नें बताया था कि ओला अगले पांच सालों में 10 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को रोड पर उतारेगा। नागपुर का प्रोजेक्ट इसी दिशा में एक कदम है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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