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नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| चिकित्सा विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बनी नई सरकार से बच्चों और युवाओं में तेजी से फैल रही ई-सिगरेट (इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट), विभिन्न स्वाद वाले हुक्के समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम्स (ईएनडीस) पर तत्काल प्रभाव से पूरे देश में रोक लगाने की मांग की है।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर चिकित्सकों ने कहा कि हमारे समाज में यह गलत धारणा फैलाई गई है कि तंबाकू युक्त वाली सिगरेट की तुलना में ई सिगरेट कम नुकसानदायक होती है और यही कारण है कि बच्चों और युवाओं में ई-सिगरेट पीने की लत तेजी से बढ़ रही है जबकि तमाम अध्ययनों एवं अनुसंधानों से यह साबित हो चुका है कि ई-सिगरेट भी सामान्य सिगरेट जितनी ही नुकसानदायक होती है।

हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. आर.एन. कालरा ने कहा कि ई-सिगरेट में भी निकोटिन होता है जो एक तरह का जहर ही है। ई-सिगरेट और ईएनडीएस को लेकर समाज में काफी भ्रम फैलाया गया है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) ई-सिगरेट पर सख्त पाबंदी की सिफारिश कर चुका है। कई नवीनतम अध्ययनों से पता चला है कि ई-सिगरेट की लत के शिकार लोग तंबाकू वाली सिगरेट पीने वालों की तुलना में ज्यादा सिगरेट पीते हैं, जिससे कार्डियक सिम्पथैटिक एक्टिविटी एंडरलीन का स्तर और ऑक्सीडेंटिव तनाव बढ़ जाता है जिससे हृदय की समस्याओं का खतरा बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि ई-सिगरेट से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए देश में पंजाब, कर्नाटक, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पुदुच्चेरी, झारखंड और मिजोरम सहित देश के 12 राज्यों में ई-सिगरेट, वेप और ई-हुक्का के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लग चुका है। दुनियाभर में 36 देशों में भी ई सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. अभिषेक वैश्य ने कहा कि ई-सिगरेट पर पूरे देश में तत्काल प्रतिबंध लगाने की जरूरत है, ताकि बच्चों और युवाओं को ई-सिगरेट के खतरों से बचाया जा सके। उम्मीद है कि नई सरकार इस दिशा में तत्काल कदम उठाएगी।

फोर्टिस हास्पीटल के मनोचिकित्सक डॉ. मनु तिवारी ने कहा कि ई-सिगरेट में इस्तेमाल होने वाला निकोटिन नशीला पदार्थ है, इसलिए पीने वाले को इसकी लत लग जाती है। थोड़े दिन के ही इस्तेमाल के बाद अगर पीने वाला इसे पीना बंद कर दे, तो उसे बेचैनी और उलझन की समस्या होने लगती है। चूंकि ई-सिगरेट में सामान्य सिगरेट की तरह तंबाकू का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसलिए लोग इसे सुरक्षित मान लेते हैं।

ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर होता है, जिसमें निकोटीन और अन्य रसायनयुक्त तरल भरा जाता है। ये इन्हेलर बैट्री की ऊर्जा से इस लिक्विड को भाप में बदल देता है, जिससे पीने वाले को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है। ईएनडीएस ऐसे उपकरणों को कहा जाता है, जिनका प्रयोग किसी घोल को गर्म कर एरोसोल बनाने के लिए किया जाता है, जिसमें विभिन्न स्वाद भी होते हैं। लेकिन ई-सिगरेट में जिस लिक्विड को भरा जाता है, वह कई बार निकोटिन होता है और कई बार उससे भी ज्यादा खतरनाक रसायन होते हैं। इसके अलावा कुछ ब्रांड्स ई-सिगरेट में फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो बेहद खतरनाक और कैंसरकारी तत्व हैं।

By पंकज सिंह चौहान

पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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