Fri. Apr 19th, 2024
    चीन अमेरिका व्यापार युद्ध

    सोमवार को जारी आधिकारिक सूचना के मुताबिक अमेरिका ताइवान को सैन्य उपकरण बेचने को तैयार है।

    अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध की आग में वांशिगटन ने ताइवान से सौदा कर घी डालने का काम किया है। ताइवाइन को सैन्य उपकरण मुहैया कराने से व्यापार युद्ध की चिंगारी और भड़केगी।

    इसी दिन डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से आयत होने वाले उत्पादों पर टैरिफ़ लगाया था। वांशिगटन और ताइवान के मध्य 330 डॉलर का सौदा हुआ है। यूएस प्रशासन के अनुसार इसमें एफ-16 लड़ाकू विमान और सी-130 कार्गो विमान के उपकरण मौजूद है।

    विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास इस मुद्दे पर आपत्ति दर्ज करने के लिए 30 दिनों का वक़्त है। यूएस विभाग ने कहा कि ताइवान की फौज उस इलाके में राजनैतिक स्थिरता, सैन्य संतुलन और आर्थिक उनत्ति के लिए आवश्यक है।

    वांशिगटन हमेशा से ही तायपेई का सबसे ताक़तवर समर्थक रहा है। साल 1979 में कूटनीतिक कारणों के चलते सैन्य उपकरण का सौदा चीन के साथ किया था।

    ताइवान के राष्ट्रपति का पद पार आसीन होने के बाद से ही चीन ने तायपेई पर सैन्य और कूटनीतिक दबाव बनाना शुरू कर दिया था। जिसमे निकटतम द्वीप में सैन्य अभ्यास के लिए मना करना भी शामिल था।

    ताइवान ने अमेरिका के ऐलान का अभिवादन किया और कहा कि यह द्वीप कि सुरक्षा प्रणाली को मज़बूत करेगी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ये रक्षा उपकरण ताइवान के इलाके में शान्ति और स्थिरता कायम रखने में मददगार साबित होंगे। ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि सरकार रक्षा उपकरणों में अधिक निवेश करेगी साथ ही अमेरिका के साथ सुरक्षा के मसलो पर बातचीत और सहयोग करना जारी रखेगी।

    ताइवान को अपने देश का अंग समझने वाले चीन के लिए वांशिगटन और तायपेई के बीच समझौता परेशानी का सबब बन सकता है। अमेरिका ने हाल ही में चीन की सेना पर प्रतिबन्ध लगाए थे। डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से निर्यातित सामान पर 200 बिलियन डॉलर का शुल्क लगाया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *